Edited By Sarita Thapa,Updated: 20 Oct, 2025 06:01 AM

यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तु सादगी से रहना पसंद करते थे। उनके कुछ धनी मित्र अपनी रईसी अपने व्यवहार में भी दिखाते थे। उनके एक धनी मित्र कहीं जाते तो उनका नौकर उनके लिए चांदी के बर्तन साथ लेकर चलता था ताकि वह अपना खाना उसी में खाएं।
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Motivational Story: यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तु सादगी से रहना पसंद करते थे। उनके कुछ धनी मित्र अपनी रईसी अपने व्यवहार में भी दिखाते थे। उनके एक धनी मित्र कहीं जाते तो उनका नौकर उनके लिए चांदी के बर्तन साथ लेकर चलता था ताकि वह अपना खाना उसी में खाएं। अरस्तू को यह बात अच्छी नहीं लगती थी, लेकिन वह मित्र का दिल नहीं दुखाना चाहते थे।

एक दिन अरस्तू ने तय किया कि वह अपने मित्र की आदतों को सुधार कर रहेंगे। उन्होंने उसे खाने पर आमंत्रित किया। हमेशा की तरह उनके मित्र अपने नौकर के साथ पहुंचे। नौकर साथ में चांदी के बर्तन लेकर आया था। जैसे ही अरस्तू के मित्र उनके घर पहुंचे, अरस्तु उन्हें वहां मौजूद बाकी के लोगों के बीच ले गए।

जब तक उनके मित्र कुछ समझ पाते, तब तक उनके सामने थाली में खाना परोस दिया। बाकी लोगों के सामने भी थाली में खाना रखा था। तब उनके रईस मित्र संकोच में पड़ गए। उन्होंने नौकर को आवाज देनी चाही, लेकिन तब तक सब लोग खाने लगे और उनसे भी खाने का अनुरोध करने लगे। बेचारे को उनके साथ साधारण थाली में खाना पड़ा। खाने के बाद जैसे ही वह उठे, अरस्तू उनके बर्तनों में व्यंजन लेकर उनके सामने हाजिर हुए। हंसते हुए अरस्तू ने उनसे कहा, “क्षमा करें। थोड़ी गलतफहमी हो गई।
जब आपके नौकर को घर की महिलाओं ने आपके बर्तन लेकर आते देखा, तो उन्हें लगा कि शायद आप अपने बच्चों के लिए भी खाना लेकर जाना चाहते हैं। उन्होंने इसमें खाना दे दिया है।” इस बात पर मित्र लज्जित होकर चले गए। उन्हें गलती का अहसास हो गया, फिर उन्होंने रईसी का भोंडा प्रदर्शन करना छोड़ दिया।
