Edited By Prachi Sharma,Updated: 04 Oct, 2025 06:00 AM

Priest Of Shiv Temple: मंदिर का पुजारी सबसे अधिक पुण्य कमाता है क्योंकि वह चौबीसों घंटे भगवान की सेवा में लगा रहता है। लेकिन शिव मंदिरों के पुजारियों के अगले जन्म में कुत्ता बनने की जो बात कही जाती है, वह एक श्राप और कर्मफल की कथा से जुड़ी है।
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Priest Of Shiv Temple: मंदिर का पुजारी सबसे अधिक पुण्य कमाता है क्योंकि वह चौबीसों घंटे भगवान की सेवा में लगा रहता है। लेकिन शिव मंदिरों के पुजारियों के अगले जन्म में कुत्ता बनने की जो बात कही जाती है, वह एक श्राप और कर्मफल की कथा से जुड़ी है।
कथा
प्राचीन काल में, एक ब्राह्मण पुजारी एक दिन भिक्षा मांगने के लिए निकले। उन्हें लगातार पांच घरों में खाली हाथ लौटना पड़ा, जिससे उन्हें पूरे दिन भोजन नहीं मिला। भूखे और निराश होने के कारण, उनका मन क्रोध से भर गया। गुस्से में जब वे घर लौट रहे थे, तो रास्ते में उन्हें एक शिव मंदिर दिखा। अपनी निराशा के कारण, उन्होंने मंदिर के द्वार पर खड़े होकर पहले तो शिव जी को बुरा-भला कहा। इसके बाद, उनका गुस्सा शांत नहीं हुआ और उन्होंने मंदिर के बाहर बैठे एक निर्दोष श्वान को देखा। अपने क्रोध पर नियंत्रण न रख पाने के कारण, उन्होंने डंडे से उस कुत्ते को बुरी तरह मारा और वहां से चले गए।

शिव जी का क्रोध और श्राप
दर्द से कराहते हुए उस घायल कुत्ते ने भगवान शिव को पुकारा। अपने भक्त की पीड़ा सुनकर शिव जी तुरंत प्रकट हुए और कुत्ते के घावों को ठीक किया। जब शिव जी को पता चला कि यह क्रूर कर्म एक ब्राह्मण ने किया है, तो वे बहुत क्रोधित हुए। उन्हें पता चला कि वह ब्राह्मण और कोई नहीं बल्कि उसी शिव मंदिर का पुजारी था। शिव जी ने महसूस किया कि मंदिर के पुजारी जैसे पवित्र पद पर रहकर भी उसने क्रोध, घमंड और हिंसा का प्रदर्शन किया है।

शिव जी ने उसी समय उस ब्राह्मण को यह श्राप दिया:
अब से, जो भी शिव मंदिर में पुजारी का कार्य करेगा, यदि वह क्रोध और अहंकार में आकर किसी निर्दोष जीव को कष्ट देगा, तो उसे अपने कर्मों के दंड स्वरूप अगले जन्म में श्वान के रूप में जन्म लेना होगा, ताकि वह भी इस धरती पर दुख और अपमान सह सके। पुजारी का अपराध इसलिए और भी गहरा माना गया क्योंकि वह चौबीसों घंटे भगवान की सेवा में रहते हुए भी अपने आचरण को शुद्ध नहीं रख पाया।
