Ramoji Film City: जहां शोले से लेकर बाहुबली तक बने सीन, जानिए कैसी है हैदराबाद की रामोजी फिल्म सिटी

Edited By Updated: 01 Nov, 2025 02:42 PM

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Ramoji Film City: आज हम असली जिन्दगी के मंच से फिल्मी गांव की तरफ जा रहे हैं। फिल्में बनाने के लिए वैसे तो मुंबई मशहूर रही है लेकिन असली फिल्मगढ़ तो ग्रीन सिटी ऑफ हैदराबाद के पड़ोस में बसी रामोजी फिल्म सिटी है। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स कहती है...

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Ramoji Film City: आज हम असली जिन्दगी के मंच से फिल्मी गांव की तरफ जा रहे हैं। फिल्में बनाने के लिए वैसे तो मुंबई मशहूर रही है लेकिन असली फिल्मगढ़ तो ग्रीन सिटी ऑफ हैदराबाद के पड़ोस में बसी रामोजी फिल्म सिटी है। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स कहती है कि यह दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म सिटी है। वहां कई हजार फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है और दर्जनों फिल्मों की शूटिंग होती रहती है।

हमारे हैदराबाद वासी साढू साहिब ने अपनी गाड़ी प्रथम प्रवेश द्वार पर पार्क की। वहां से अगले प्रवेश द्वार तक पहुंचने के लिए फिल्म सिटी की बसें हैं। मुख्य फिल्म सिटी घुमाने के लिए शोख लाल रंग की खुली, हवादार बसें गाइड सहित तैयार मिलती हैं। पर्यटकों की भीड़ है। सबको जल्दी है, पैदल भाग रहे हैं। हम भी पहुंच कर दर्शकों के पीछे खड़े हो गए। सामने मंचनुमा जगह पर महिला कलाकारों द्वारा ‘सलाम-ए-इश्क मेरी जान’ गीत पर नृत्य चल रहा है।

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पृष्ठभूमि में आकर्षक रंगों में बनी संरचनाएं लुभाती रहीं। पुरुष कलाकारों ने आकर, ‘ईना मीना डीका’ पर नृत्य कर सभी दर्शक पर्यटकों का स्वागत किया। हर तरफ हरियाली असली है लेकिन माहौल काल्पनिक फिल्मी है। उस तरफ शादी की शूटिंग चल रही है, कैमरे सैट किए जा रहे हैं। इस समय हम पैदल एक कोरिडोर से गुजर रहे हैं। कलात्मक मूर्तियां, खूबसूरती से उकेरे फ्रेम्स में यहां शूट हुई फिल्मों की तस्वीरें हैं, जो उन फिल्मों की याद दिलाती हैं। कुछ देर बाद एक पौराणिक दरबार के सामने हैं, राजा और दरबारी हैं। बाहर निकलो तो सामने टिमापुर रेलवे स्टेशन है, यहां लगा नामपट्ट खाली है, जहां फिल्म के हिसाब से नाम चिपका दिया जाता है। फिर बस में बैठते हैं, गाइड हमें हवाई जहाज के सैट के पास ले जाता है।

आज यहां शूटिंग नहीं, तभी पर्यटक फोटो खिंचवा रहे हैं। पास में ही एक ऐतिहासिक इमारत में जाकर लगता है कि मुगलकाल में पहुंच गए। जयपुर की इमारतों का प्रभाव भी है। टिकाऊ और खूबसूरत पत्थरों से तराशकर, दिलकश स्टैच्यू बनाए गए हैं। हैदराबाद के तो पड़ोस में भी अनेक आकार और प्रकार के आकर्षक पत्थरों के अंबार है। रामोजी ने खूब योजना बनाकर सब रचा है। मोर, हाथी, घोड़े, झरोखे, स्टैच्यू, फव्वारे, वृक्ष, पौधे-फूल, सीढिय़ों पर बहता पानी, नर्तकियों की लुभावनी मूर्तियां, तितलियों से भरी दीवारें, पत्थरों को तराश कर उकेरे प्रसिद्ध चेहरे और स्तम्भ, बुद्ध की अनेक मूर्तियां देखकर मन और शरीर कहता है, वाह! क्या जगह है यार। खूब फोटोज खींचते हैं। कई पर्यटकों का एक्टर जाग उठता है।

इस फिल्मी शहर में खाने के लिए अलग-अलग पसंद के हिसाब से काफी कुछ परोसा जाता है। पेट और जी भर खाओ तथा घूमते रहो। चहकते पर्यटक एक गैलरी में बैठे हैं। सामने पुरानी फिल्मों जैसा सैट लगा है, होटल, सैलून, रेस्तरां और अस्तबल में घोड़े। शॉट शुरू, फाइटिंग, ढिशुम-ढिशुम, गोलियां। कुछ ही मिनट में सीन पूरा हो जाता है। कोई रिटेक नहीं होता, दर्शक तालियां बजाते हैं।

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अगला सैट रहस्यात्मक फिल्म के लिए है। अन्य सैट मोहल्लेनुमा है। घर, बाजार, दुकानें, यह जगह कई फिल्मों में देखी है। मिनी थिएटर में हॉरर फिल्म दिखाई गई, कुछ ही पल में कुछ लिपटता, डराता-सा महसूस हुआ और लगा, हम उस हॉरर फिल्म का हिस्सा हो गए हैं। सीन कैसे बनाया जाता है, इसका अनुभव एक दिन शूट कर दिया गया। सामने शोले की बस्ती का तांगा है लेकिन पहिए नहीं, घोड़े की लगाम है लेकिन घोड़ा नहीं। मेरी साली की बेटी बसंती का अभिनय करती है।

प्रोसैसिंग के बाद दिखता है कि बसंती अपना तांगा दौड़ा रही है, पीछे गब्बर सिंह के घोड़े भी दौड़ रहे हैं। सीन प्रभावशाली बना। बेहद दिलचस्प, रोमांचक, मजेदार अनुभव रहा। पांच सौ से ज्यादा स्थायी सैट्स वाले विहंगम स्टूडियो में विटेज कारें भी हैं, तो सैल्फियां भी खूब ली जाती हैं। फ्रांस का एफिल टावर है और अमरीका का स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी। बच्चे खुश हो गए, उनके लिए मनोरंजक गेम्स के अलावा काफी कुछ मिल गया।

रामोजी राव की कल्पना था यह शहर
जाने-माने फिल्म निर्माता, निर्देशक, मीडिया हस्ती, पद्म विभूषण रामोजी राव ने 1996 में यह फिल्मी शहर बसाना शुरू किया। उनकी सोच थी कि फिल्म बनाने के लिए सभी सुविधाए एक जगह होनी चाहिएं। उस सोच को इस जगह रोप कर यह शहर खड़ा कर दिया। प्री-डक्शन, प्रोडक्शन और पोस्ट प्रोडक्शन से जुड़ी सारी सुविधाएं यहां हैं। अब यह एक पर्यटक स्थल हो गया है। फिल्में सभी को आकॢषत करती हैं- एक दिन में जितना देखा, न भुलाने वाला अनुभव रहा।

कब जाएं : जब चाहे जाएं। हैदराबाद का मौसम गर्म रहता है। अक्तूबर से मार्च तक के सौम्य मौसम में जाना बेहतर है।
कैसे जाएं : जैसे चाहें, हैदराबाद सभी तरह के परिवहन साधनों से जुड़ा है। ठहरने के लिए हर जेब के हिसाब से आरामगाह उपलब्ध है।          

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