Edited By Sarita Thapa,Updated: 05 May, 2025 01:26 PM

Saint Francis Story: संत फ्रांसिस युवावस्था से ही परोपकार और दुखियों की सेवा में लगे रहते थे। उनके पिता कपड़े की दुकान करते थे। फ्रांसिस को भी दुकान में उनका हाथ बंटाना होता था। वे मौका लगते ही दुकान से कपड़े उठाकर गरीबों को दे देते थे।
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Saint Francis Story: संत फ्रांसिस युवावस्था से ही परोपकार और दुखियों की सेवा में लगे रहते थे। उनके पिता कपड़े की दुकान करते थे। फ्रांसिस को भी दुकान में उनका हाथ बंटाना होता था। वे मौका लगते ही दुकान से कपड़े उठाकर गरीबों को दे देते थे। एक बार एक अनाथ आश्रम को उन्होंने कपड़े की पूरी गांठ ही दे दी। जब उनके पिता के एक मित्र को इसका पता चला तो वह बहुत खिन्न हुए। वह तुरन्त फ्रांसिस के पिता के पास पहुंचे।
उनकी शिकायत करते हुए उन्होंने बोला, “तुम्हारा बेटा तो दुकान का दीवाला निकाल देगा। वह जिसे चाहे उसे कपड़े की गांठ निकाल कर सौंप देता है या नकदी दे देता है।”
उनके पिता ने उन्हें डांट लगाई और चेतावनी दी, “यदि आगे से धन दौलत या कपड़ा लुटाया तो मैं तुम्हें अपनी सम्पत्ति से बेदखल कर दूंगा।”

फ्रांसिस ने उत्तर दिया, “पिता जी, मैं ऐसी सम्पत्ति लेकर क्या करूंगा जो दीन-दुखियों के काम न आ सके। वैसे भी मैंने तो मानवता की सेवा का व्रत ले रखा है।”
यह कहकर उन्होंने तत्काल घर छोड़ दिया और पूरी तरह से पीड़ितों-अपेक्षितों की सेवा में लग गए।
