Sawan 2025: शिवलिंग पर ये चीजें चढ़ाने से लगता है महापाप, न करें ये गलती

Edited By Updated: 13 Jul, 2025 07:00 AM

Sawan 2025: हिंदू धर्म के प्रमुख त्रिदेवों में से एक भगवान शिव का माह यानी के सावन का माह 11 जुलाई से आरंभ हो गया है और इस दौरान भगवान शिव की पूजा की जाएगी। हिंदू धर्म में इस समय को ध्यान, जप तप और भगवान शिव की कृपा पाने के लिए बेहद खास माना गया है।...

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Sawan 2025: हिंदू धर्म के प्रमुख त्रिदेवों में से एक भगवान शिव का माह यानी के सावन का माह 11 जुलाई से आरंभ हो गया है और इस दौरान भगवान शिव की पूजा की जाएगी। हिंदू धर्म में इस समय को ध्यान, जप तप और भगवान शिव की कृपा पाने के लिए बेहद खास माना गया है। इस दौरान अगर अपने आस-पास के मंदिरों में भी देखें तो आपको भक्तो की भीड़ नजर आएगी। भक्त कांवड़ लेकर देश भर में शिव मंदिरों में भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए पहुंचते हैं। बता दें कि सावन के माह में हर रोज भगवान शिव के लिंग यानी की पूजा कि जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान भगवान शिव की पूजा करने से जातक विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं और ऐसा भी माना जाता है कि इससे जातक की  सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। शिवलिंग की पूजा करने के कुछ नियम होते हैं, जिनको ध्यान में रखकर ही शिव पूजा की जाती है। हालांकि आपको बता दें कि शिवलिंग पर कुछ चीज़ों को चढ़ाने के मनाही होती है।

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 हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत शुभ माना जाता है और इसे मां लक्ष्मी का संसारिक रुप भी माना जाता है। कहा जाता है कि तुलसी के बिना तो भगवान विष्णु भोग भी ग्रहण नहीं करते। लेकिन क्या आप जानते हैं इतनी पवित्र माने जाने वाली तुलसी को शिवलिंग पर अर्पित करना वर्जित माना गया है। इसके पीछे के कारण की बात करें तो एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव ने तुलसी के पति जालंधर का वध कर दिया था जिसके कारण स्वयं तुलसी ने भगवान शिव को अपने देवियों गुणों से वंचित कर दिया था। यहीं वजह है कि शिवलिंग पर तुलसी को चढ़ाना वर्जित है।

देवी-देवताओं के पूजन में फूल का इस्तेमाल होता है हालांकि कुछ फूल ऐसे होते हैं जो देवी-देवताओं को बहुत प्रिय होते हैं और कुछ ऐसे जो उन्हें अर्पित करना वर्जित होता है। ऐसे ही एक फूल की बात करें तो भगवान शिव को केतकी का फूल अर्पित करना वर्जित है। पौराणिक कथा के अनुसार केतकी के फूल को भगवान शिव ने श्राप दिया था क्योंकि केतकी ने ब्रह्मा जी का झूठ में साथ दिया था। इसी कारण वर्ष से रुष्ट होकर भगवान शिव ने केतकी को श्राप दे दिया की कभी भी शिवलिंग पर केतकी का फूल को नहीं किया जाएगा। इसी वजह से  केतकी के फूल को अर्पित करना वर्जित है।

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 धार्मिक पुराणों के अनुसार भगवान शिव पर अखंड और साफ धुले चावल को अर्पित करना शुभ माना जाता है और ऐसी भी मान्यता है कि इस से जातक को धन की प्राप्ति होती है। लेकिन आपको बता दें कि टूटे हुए और अपूर्ण चावल को अर्पित करना शुभ नहीं माना जाता। इसलिए शिवलिंग पर कभी टूटे हुए चावल नहीं चढ़ाने चाहिए।

 इसके अलावा भगवान शिव को सिंदूर और कुमकुम भी नहीं अर्पित किया जाता। मान्यता है कि भगवान शिव विनाशक है और भस्म लगाते हैं तो वहीं सिंदूर को सुहाग की निशानी माना जाता है इसलिए सिंदूर को शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए।

 जैसे देवी-देवताओं को शंख से जल अर्पित किया जाता है तो वहीं भगवान शिव की पूजा में शंख का प्रयोग भी नहीं किया जाता। क्योंकि भगवान शिव ने शंखचूड़ राक्षस का वध किया था। पौराणिक कथा के अनुसार शंखचूड़ से अत्याचारों से देवता परेशान थे और भगवान शिव ने सभी देवताओं की रक्षा के लिए शंखचूड़ का वध कर दिया था। जिसके पश्चात शरीर भस्म हो गया और उसी भस्म से शंख की उत्पत्ति हुई थी। इसी वजह से भगवान शिव की पूजा में शंख का इस्तेमाल नहीं होता।

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