शनि जयंती: ऐसे मनाएं शनिदेव का Birthday

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 May, 2018 11:02 AM

shani jayanti

भगवान सूर्य एवं छाया के पुत्र, यमराज के बड़े भाई शनिदेव को ज्योतिष के अनुसार ग्रहों में न्यायाधीश का पद प्राप्त है। शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन हुआ था। शनि महाराज को भगवान शिव ने नवग्रहों में न्यायाधीश का काम सौंपा है।

भगवान सूर्य एवं छाया के पुत्र, यमराज के बड़े भाई शनिदेव को ज्योतिष के अनुसार ग्रहों में न्यायाधीश का पद प्राप्त है। शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन हुआ था। शनि महाराज को भगवान शिव ने नवग्रहों में न्यायाधीश का काम सौंपा है। यही कारण है कि पूरी दुनिया शनिदेव से डरती है। कहा जाता है कि शनिदेव की दृष्टि यदि किसी पर पड़ जाए, तो वह कहीं का भी नहीं रहता। शनिदेव की पत्नी के श्राप के कारण जिस पर शनि की दृष्टि (ढैय्या, साढ़ेसाती) पड़ जाती है, वह नष्ट हो जाता है। शनि की कुदृष्टि के कारण ही भगवान राम को बनवास एवं रावण का संहार हुआ तथा पांडवों को वनवास हुआ।


त्रेता युग में राजा हरीशचंद्र को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ीं। ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को शनि जन्म होने के कारण इस तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष 15 मई, 2018 को शनि जयंती है। इस दिन शनि के निमित्त जो भी दान, पूजा एवं उपाय किए जाते हैं, उनसे शनिदेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। महाराष्ट्र में अहमदनगर जिले में शनि धाम शिंगणापुर में 15x15 के चबूतरे पर शिला रूप में साक्षात शनिदेव स्वयं विराजमान हैं। जहां प्रतिदिन 25-40 हजार भक्त दर्शनों के लिए आते हैं। शनि अमावस्या एवं शनि जयंती के दिन भक्तों की संख्या 3 लाख से भी ऊपर पहुंच जाती है। इस दिन यहां दर्शन-मात्र से शनि देव प्रसन्न हो जाते हैं।


अचूक उपाय
किसी पवित्र नदी, तीर्थ स्थान या महाराष्ट्र के शिंगणापुर के शनि मंदिर में स्नान करें और गणेश पूजन, विष्णु पूजन, पीपल का पूजन इस प्रकार करें-पीपल पर जल चढ़ाएं, पंचामृत चढ़ाकर गंगाजल से स्नान करवाएं, रोली लपेट कर जनेऊ अर्पण करके पुष्प चढ़ाएं और नैवेद्य का भोग लगाकर नमस्कार करें। इसके बाद पीपल की सात परिक्रमा शनि मंत्र का जाप करते हुए करें और पीपल पर सात बार कच्चा सूत बांधें।


दान वस्तु  
भैंसे या घोड़े को चने खिलाएं और काली किनारी वाली धोती-कुर्ता, उड़द के पकौड़े, इमरती, काले गुलाब जामुन, छतरी, तवा-चिमटा आदि वस्तुओं का शनि मंदिर के पुजारी को दान देना चाहिए। शनि से पीड़ित जातक शनि यंत्र धारण करें तथा काला वस्त्र एवं नारियल को तेल लगाकर, काले तिल, उड़द की दाल, घी आदि वस्तुएं अंधविद्यालय, अनाथालय या वृद्धाश्रम में दान करें। पितृ-दोष से पीड़ित जातकों को काली गाय का दान करने से 7 पीढिय़ों का उद्धार होता है।


शनि प्रकोप एवं संतान से पीड़ित जातक को उड़द की दाल के पकौड़े, काले गुलाब जामुन एवं इमरती 101 कुत्तों एवं कौओं को खिलाएं। व्यापार में घाटा हो रहा है या कर्ज बढ़ रहा है, तो व्यापार वृद्धि एवं कर्ज निवारण मंत्र के साथ अभिमंत्रित एकाक्षी श्रीफल एवं लघु नारियल को तेल एवं सिंदूर लगाकर सायंकाल शनि मंदिर में चढ़ा दें या नदी में विसर्जित कर दें, यह अचूक प्रयोग है। आवश्यकता केवल आस्था एवं विश्वास की है।


शनि मंत्र
शनिदेव की कृपा किसी जातक पर हो जाए तो उसे विजय, धन, काम सुख और आरोग्यता की प्राप्ति होती है। शनि संबंधी चिंताओं का निवारण करने में शनि मंत्र विशेष रूप से शुभ रहते हैं। 


ॐ धनदाय नम:

ॐ मन्दाय नम:

ॐ मन्दचेष्टाय नम:

ॐ क्रूराय नम:

ॐ भानुपुत्राय नम:

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