Shani Margi: 138 दिन बाद शनि मार्गी, जानिए क्या होगा आप पर असर

Edited By Updated: 27 Nov, 2025 11:06 AM

शनि देव 13 जुलाई से वक्री थे और 28 नवंबर को मार्गी हो जाएंगे। लगभग 108 दिन का यह पीरियड था जब शनि देव वक्री रहे। अब शनि देव हर साल वक्री होते हैं और लगभग 138 या 140 दिन के लिए वक्री होते ही हैं।

Shani Margi: शनि देव 13 जुलाई से वक्री थे और 28 नवंबर को मार्गी हो जाएंगे। लगभग 108 दिन का यह पीरियड था जब शनि देव वक्री रहे। अब शनि देव हर साल वक्री होते हैं और लगभग 138 या 140 दिन के लिए वक्री होते ही हैं। अब पहले तो यह समझेंगे कि वक्री होता क्या है औ  कौन सी राशियों पर इसका क्या असर पड़ेगा? तो जो हमारे प्लरी सिस्टम जो चलता है उसमें जो भी ग्रह सूर्य के सामने होता है, वो वक्री हो जाता है। सूर्य के सामने जो भी ग्रह है, जो आउटर सर्कल के प्लनेट है। उसमें गुरु है, मंगल है, शनि है। तो ये ग्रह जब सूर्य के सामने आते हैं, तो वक्री हो जाते हैं। मींस किसी भी कुंडली में आप सूर्य के सामने शनि को देखेंगे तो आंखें बंद करके ये बोल सकते हैं कि यह वक्री है या सूर्य से छठे में है, सूर्य से अष्टम में है, सूर्य से पंचम में भी कई बार तो लगभग 120° के आसपास का डिस्टेंस होता है। जब जैसे ही वह डिस्टेंस क्रॉस करता है प्लनेट मंगल गुरु या शनि आपका आउटर सर्कल का प्लनेट तो वो वक्री हो जाता है। 

सूर्य घूमकर दोबारा फिर उसी एक्सिस में आ जाता है तो वहां पर वो मार्गी हो जाते हैं, तो 28 नवंबर को शनि मार्गी हो जाएंगे। अब शास्त्र कहता है कि जब शनि जब कोई भी ग्रह वक्री होता है, तो उसका चेष्टा बल बढ़ जाता है। चेष्टा बल मींस यानी कि काम करने की ताकत कुछ भी वो किसी भी तरह के फल करना चाहता है वो अच्छे या खराब है उसका वो चेष्टाबल बढ़ जाता है, वो पूरी ताकत के साथ करता है। जिनके शनि खराब चल रहा था यानी कि जिनके ढईया चल रही थी तो अल्टीमेटली क्योंकि वह अब मार्गी हो गए हैं। थोड़ा सा कूल डाउन हो गए हैं, तो अल्टीमेटली वह थोड़ा सा ठीक स्थिति में हो गए। यहां पर जिनके ऊपर ढईया चल रही थी। सबसे पहले ढैया चल रही थी सिंह राशि के ऊपर। सिंह राशि का जो राशि है उससे शनि अष्टम में चल रहे थे तो अष्टम के ढैया में थे। ढैया का ग्रह वक्री हो गया यानी कि ज्यादा ताकत से खराब फल कर रहा है, तो वहां पर हो सकता है कि कुछ न कुछ अब राहत देखने को मिले। 

अगले साल अब 13 जुलाई के आसपास 26 जुलाई के आसपास जो है वह शनि जो है दोबारा वक्री होंगे। तो 8 महीने के आसपास का समय है। करीब 7 आठ महीने के आसपास का समय है। जुलाई में ये वक्री होंगे। दिसंबर तक यह वक्री रहेंगे। तो यह समय अब थोड़ा सा राहत भड़ा हो सकता है सिंह राशि के जातकों के लिए। अब अगला अह अगली राशि जिसके ऊपर इस समय ढैया चल रही है वो है धनु राशि। धनु राशि के ऊपर से के फोर्थ हाउस के ऊपर से शनि गुजर रहे हैं। तो यह एक राशि है जिसको अब थोड़ी सी राहत मिल सकती है। यहां पर शनि का जो इल इल इंपैक्ट है वो हो सकता है कि थोड़ा सा कम हो और ये दोनों ही राशियां कोइंसिडेंसली ऐसी ऐसी राशियां हैं जिनके लिए शनि मित्र नहीं है। सिंह राशि के लिए शनि मारक हो जाते हैं क्योंकि शनि की जो मकर राशि है वो छठे में आ जाएगी और कुंभ राशि जो है वो सप्तम में आ जाएगी। छठा रोग ऋण शत्रु का भाव है। सप्तम आपका जो है वो होता है मारक स्थान होता है। इसी प्रकार धनु राशि के लिए दूसरा भाव जो होता है वहां पर मकर राशि आती है। वह मारक स्थान होता है। तीसरे में आ जाती है कुंभ राशि वह अष्टम का अष्टम होता है। वह भी उसे उपाच्य भाव बोलते हैं। यह अच्छा भाव नहीं होता। तो इन दोनों राशियों के लिए शनि वैसे भी अच्छे फल नहीं करते अंतरदशा महादशा में आकर। तो ढैया में भी हो सकता है कि कुछ ना कुछ चीजें दिक्कत भरी हो जाती हैं। तो कुछ लोगों ने फेस भी किया होगा। काफी लोगों की जब कुंडली हम एनालाइज़ करते हैं तो पता लगता है कि इनको खासतौर पर दिक्कत आ रही है। इसके अलावा क्योंकि शनि मीन राशि के ऊपर से गुजर रहे हैं और चंद्रमा के ऊपर से जब शनि का प्रभाव है और शनि वहां पर वक्री हो गए तो निश्चित तौर पर वहां पर भी दिक्कत आती है। हालांकि मीन राशि जल तत्व की राशि है। यहां पर अगर शनि ठंडे हो जाते हैं। 

यहां पर बहुत ज्यादा इल इंपैक्ट नहीं आता। मकर राशि, कर्क राशि और वृश्चिक राशि जल तत्व की राशियां हैं। तो यहां पर आकर शनि का प्रभाव जो है वो थोड़ा सा मींस कम हो जाता है। लेकिन इसके बावजूद यदि वक्री हैं, चंद्रमा के ऊपर से हैं तो उसका इंपैक्ट आता है। तो थोड़ा सा इस राशि को भी जो परेशानी हो रही थी वहां पर भी चीजें अब थोड़ी सी स्मूथ होती हुई नजर आएंगी क्योंकि शनि अब नॉर्मल चाल में आ जाएंगे। इसके बाद अगली राशि जिसके ऊपर यह ढई चल रही है वो है आपकी मेष राशि। मेष राशि आपकी मेष राशि के ऊपर साढ़ेसाती की पहली ढैया है। मेष राशि फायरी साइन है। फायरी साइन के ऊपर शनि थोड़ा सा ज्यादा इंपैक्ट डाल देते हैं। यहां से शनि 12 गुजर रहे हैं और 12व से छठा एक्टिव किया हुआ है। 12वें से 10वीं दृष्टि के साथ नाइंथ हाउस जो आपका भाग्य स्थान एक्ट एक्टिव किया हुआ है और 12व बैठकर तीसरी दृष्टि से आपके धन भाव को देख रहे हैं। तो इनको थोड़ी सी ज्यादा दिक्कत हो रही है मेष राशि के जातकों को क्योंकि शनि की पहली ढैया है अभी। 

इसके अलावा जिसके ऊपर यह ढैया चल रही है वह है कुंभ राशि। की कुंभ राशि के लिए लास्ट ढैया चल रही है शनि सासाती की। तो यह जो राशियां हैं जिनके ऊपर प्रभाव पड़ रहा है इनको अब थोड़ी सी राहत मिलती हुई नजर आएगी। बाकी तीन राशियां ऐसी हैं जिनके ऊपर इस समय शनि की महादशा चल रही है। जितने भी लोग जो 30 से 50 साल की आयु के हैं जिनका नक्षत्र राहु का है। अब राहु का नक्षत्र किनका होगा? जो जैेमिनी यानी कि मिथुन राशि है जो आर्द्रा नक्षत्र में पैदा हुए हैं। जो तुला राशि के हैं जो स्वाति नक्षत्र में पैदा हुए हैं या जो कुंभ राशि के हैं जिनका जन्म जो है वो सतभिषा नक्षत्र में पैदा में हुआ है। तो कुंभ राशि के ऊपर साढ़ेसाती का पहला फेस भी चल रहा आखिरी फेस भी चल रहा है। इधर से कुंभ राशि के ऊपर शनि की महादशा भी चल रही है। जिनकी उम्र 30 से 50 साल है। जितने लोग हैं मिथुन के, तुला के, कुंभ के अपनी कुंडली चेक कर लीजिए। आयु 30 से 50 साल है तो आपके ऊपर शनि चल रहा है। तो यहां पर दशान जो है वो वक्री था। मार्गी हो गया। 

अल्टीमेटली वो ठीक हो गया आपके लिए। इन तीन राशियों के लिए भी चीजें अब ठीक होंगी। थोड़ा सा स्मूथ होता हुआ नजर आएगा। क्योंकि आपका रूलिंग प्लनेट अब ठीक दिशा में चल गया है। उसकी चाल बदली हुई थी। वो ज़्यादा अग्रेसिव था। यदि उसने खराब फल करने हैं किसी भी तरीके से तो वह ज़्यादा खराब कर रहा होगा। तो वहां पर चीज़ थोड़ी सी स्मूथ होती हुईज़ आएंगी। हालांकि इन तीनों राशियों के लिए शनि का जो रिजल्ट है वह कुंडली में शनि की स्थिति के ऊपर निर्भर करता है। मान लीजिए आपकी राशि जैेमिनी है यानी कि मिथुन है और शनि आपका 12 में पड़ा है, अष्टम में पड़ा है तो अल्टीमेटली उसके फल खराब आएंगे क्योंकि वह जिस भाव में बैठा है उसके फल कर जाएगा। यदि आपकी राशि तुला है या आपकी राशि कुंभ है तो भी यदि शनि अष्टम या 12वें में है तो खराब फल कर जाएंगे। यदि शनि केंद्र त्रिकोण में पड़े हैं तो आपको उसके बेटर रिजल्ट मिलते हुए नजर आएंगे  या आप अपनी कुंडली देखेंगे तो आपको पता लग जाएगा कि आपके शनि कहां पर है। कुंडली में कहां पर विराजमान है। पीड़ित तो नहीं है। जिनका शनि पंचम में है उनके लिए तो ठीक है। वो 11वें भाव को देख रहे हैं। 

अल्टीमेटली अच्छा फल कर जाएंगे। भले ही किसी भी उसके हैं।  मिथुन, तुला और कुंभ। मिथुन है बुध की राशि। तुला है शुक्र की राशि और कुंभ है शनि की अपनी राशि। यहां पर शनि मिथुन राशि के लिए भाग्य स्थान के स्वामी हो जाते हैं। मित्र ग्रह हो जाते हैं। तुला राशि के लिए शनि योगाकारक होते हैं। चौथे और पांचव भाव के स्वामी होते हैं। उनके लिए भी मित्र की तरह फल करते हैं। तो अल्टीमेटली ये जो तीनों राशियां जिनके ऊपर शनि चल रहा है या शनि की महादशा चल रही है उनके लिए वैसे भी अच्छा हो जाएगा। तो वहां पर मित्र ग्रह है आपके लिए। आपके लग्न के लिए मित्र है। आपकी राशि के लिए मित्र है। तो यहां पर चीजें जो है अह इस तरीके से चलेंगी। शनि का जो राशि परिवर्तन है वह इस तरह के परिणाम जो है वह लेकर आएगा इन राशियों के लिए। आप अपनी कुंडली देखिए शनि कहां पर है और यदि आपकी कुंडली में शनि खराब है शनि की पोजीशन खराब है तो ओम शन शनिश्चरय नमः का जप करिए। इसको अजपा मंत्र में ले सकते हैं। कहीं पर फ्री बैठे हैं वैसे भी इसका जप कर सकते हैं। या अंडर प्रिविलज लोग जो होते हैं उनकी हेल्प करिए। किसी भी रूप में खाना खाने में, पढ़ाई कराने में, किसी भी रूप में उनकी मदद करिए। फाइनेंसियली मदद कर सकते हैं। लेकिन दान वहां पर करिए जहां पर आपका दान सही स्थान तक सही पात्र तक पहुंचे। और इसके अलावा आप शनिदेव को तेल अर्पित कर सकते हैं। सरसों का तेल शनिवार शाम के समय यह किया जा सकता है। उड़द की दाल का डोनेशन किया जा सकता है। यह चीजें करने से यह रेमेडीज करने से शनि का जो इल इंपैक्ट है वह थोड़ा सा कम होता है। 

नरेश कुमार
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