Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि में 9 दिन Follow करें ये वास्तु टिप्स, सदैव बनी रहेगी जगत जननी की कृपा

Edited By Updated: 21 Sep, 2025 02:00 PM

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Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर 2025 से शुरू होकर 2 अक्टूबर 2025 तक चलेंगी। यह नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना के लिए अत्यंत पवित्र माने जाते हैं। इस दौरान अगर आप वास्तु के कुछ विशेष नियमों का पालन करते हैं, तो घर में...

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Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर 2025 से शुरू होकर 2 अक्टूबर 2025 तक चलेंगी। यह नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना के लिए अत्यंत पवित्र माने जाते हैं। इस दौरान अगर आप वास्तु के कुछ विशेष नियमों का पालन करते हैं, तो घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और मां जगदम्बा की कृपा सदैव बनी रहती है। वास्तु शास्त्र के ये उपाय आपके घर को एक मंदिर की तरह पवित्र और सकारात्मक बना सकते हैं।

शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर 2025 से शुरू होकर 2 अक्टूबर 2025 तक चलेगी। यह नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना के लिए अत्यंत पवित्र माने जाते हैं। इस दौरान अगर आप वास्तु के कुछ विशेष नियमों का पालन करते हैं, तो घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और मां जगदम्बा की कृपा सदैव बनी रहती है। वास्तु शास्त्र के ये उपाय आपके घर को एक मंदिर की तरह पवित्र और सकारात्मक बना सकते हैं।

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घर की साफ-सफाई और प्रवेश द्वार का महत्व
नवरात्रि शुरू होने से पहले ही पूरे घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई कर लें। वास्तु के अनुसार, घर में धूल-गंदगी और टूटा-फूटा सामान नकारात्मक ऊर्जा का कारण बनता है। इसलिए, घर से बेकार की चीजें और कबाड़ हटा दें। विशेष रूप से, घर के उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम कोण को साफ और व्यवस्थित रखें क्योंकि ये दिशाएं ऊर्जा के प्रवाह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

मुख्य द्वार घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश का मार्ग होता है। इसे भी साफ-सुथरा और आकर्षक रखें। मुख्य द्वार पर आम या अशोक के पत्तों का तोरण लगाना बहुत शुभ माना जाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को घर में प्रवेश करने से रोकता है। इसके अलावा, हल्दी और चावल से मुख्य द्वार पर स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। यह शुभता और समृद्धि का प्रतीक है। हर शाम मुख्य द्वार पर एक दीपक जलाना भी बहुत लाभकारी होता है।

पूजा घर और कलश स्थापना की सही दिशा
नवरात्रि में पूजा घर की दिशा का विशेष महत्व होता है। मां दुर्गा की मूर्ति या कलश को पूजा घर के उत्तर-पूर्व में स्थापित करना सबसे शुभ माना जाता है। यह दिशा देवी-देवताओं का स्थान होती है। पूजा करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए, क्योंकि ये दिशाएं पूजा के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती हैं।

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अगर आप नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति जला रहे हैं, तो उसे पूजा घर के दक्षिण-पूर्व में रखें। यह अग्नि की दिशा है, जो अखंड ज्योति के लिए सबसे उपयुक्त मानी गई है। इससे पूजा का शुभ फल प्राप्त होता है। पूजा घर की दीवारों को हल्के रंगों जैसे पीला, सफेद, या हल्का नारंगी रंग से पेंट कराना भी शुभ होता है क्योंकि ये रंग शांति और आध्यात्मिकता का प्रतीक हैं।

तुलसी का पौधा: नवरात्रि में घर में तुलसी का पौधा लगाना बहुत शुभ होता है। तुलसी को मां लक्ष्मी का स्वरूप भी माना जाता है। इसे घर के आंगन, बालकनी या पूजा घर के पास रखें और शाम को इसके पास दीपक जलाएं। यह घर में सुख-समृद्धि लाता है।

रंग और वस्त्र: नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों के अनुसार अलग-अलग रंगों के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। इससे भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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