Sheetla Mata Temple: घड़े रुपी राक्षस के मुंह में डाला जा चुका है लाखों लीटर पानी, फिर भी है खाली

Edited By Updated: 25 Jun, 2025 03:41 PM

sheetla mata temple

Shree shitala mata bhatund Pali Rajasthan: सुनने में शायद आपको भी अजीब लगे लेकिन वास्तव में राजस्थान में ऐसा चमत्कारी मंदिर है। जहां लगभग 800 साल से एक ऐसा घड़ा है जिसमें लाखों लीटर पानी डाला चुकी है। फिर भी उलका मुंह भरता नहीं है। माना जाता है कि...

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Shree shitala mata bhatund Pali Rajasthan: सुनने में शायद आपको भी अजीब लगे लेकिन वास्तव में राजस्थान में ऐसा चमत्कारी मंदिर है। जहां लगभग 800 साल से एक ऐसा घड़ा है जिसमें लाखों लीटर पानी डाला चुकी है। फिर भी उलका मुंह भरता नहीं है। माना जाता है कि राक्षस इस पानी को पी जाता है और अपनी प्यास बुझाता है। शीतला माता के इस मंदिर में होने वाले चमत्कार के दर्शन करने का सौभाग्य साल में दो बार ही प्राप्त होता है। शीतला सप्तमी और ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को यहां लंबी कतारों में भक्तों का तांता लगता है। इन दिनों गांव में मेला भी लगता है।

Shree shitala mata bhatund Pali Rajasthan

राजस्थान के जिले पाली के छोटे से गांव भाटूण्ड शीतला माता का मंदिर स्थित है। यह मंदिर बहुत प्राचीन है। इसकी खास बात यह है कि मां की प्रतिमा के साथ एक घड़ा है, जोकि आधा फीट गहरा और आधा फीट चौड़ा नीचे ज़मीन में गढ़ा हुआ है। हैरानी की बात यह है कि इसमें जितना भी पानी डाल दिया जाए, यह कभी नहीं भरता है।

Shree shitala mata bhatund Pali Rajasthan

वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि इसमें लगभग 50 लाख लीटर पानी डाला जा चुका है, लेकिन यह खाली का खाली है। शीतला अष्टमी और ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि को साल में 2 बार ही इस घड़े का मुंह खोला जाता है। उस समय श्रद्धालुओं का यहां तांता लगा होता है।  लोग यहां घड़े में पानी भरने के लिए आते हैं। इन्हीं दिनों मंदिर परिसर में मेला भी लगता है। बहुत से लोग इस चमत्कार को देखने के लिए आते हैं। माना जाता है कि यह मंदिर बहुत पुराना है और ये प्रथा सदियों से चली आ रही हैं। 

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लोकल लोगों का कहना है कि करीब 800 साल पहले बाबरा नाम के राक्षस ने गांव में आतंक मचा रखा था। तब सब ने मिलकर माता शीतला का ध्यान किया और मां ने भक्तों की पुकार सुनकर उस दुष्ट का संहार किया। राक्षस ने अंतिम इच्छा माता के समक्ष रखी कि मेरी आत्मा की तृप्ति के लिए मुझे पानी पिलाया जाए। मां ने तथास्तु कहकर उसकी इच्छा पूर्ण कर दी। तब से घड़े की स्थापना कर साल में दो बार पानी डालने की प्रथा चल रही हैं।

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कहा जाता है कि सैकड़ों बार पानी से भरने पर भी वह घड़ा खाली रहता है। लेकिन हर बार पानी डालने के बाद वहां के पंडित एक कलश दूध उसमें डालते हैं तो वह तुरंत भर जाता है। इसके पश्चात घड़े का मुंह बंद कर दिया जाता है। 

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