Shri Radhavallabh Lal Ji: वृंदावन में 23 अप्रैल से लेकर 1 मई तक चलेगा श्री हित हरिवंश महाप्रभु जी का जन्मोत्सव

Edited By Updated: 12 Apr, 2023 11:04 AM

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श्री राधा वल्लभ मंदिर, वृंदावन में श्री राधाकृष्ण एक युगल जोड़े के रूप में विराजित हैं। वो दो नहीं बल्कि एकाकार हैं। हरिवंश महाप्रभु

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Shri Radhavallabh Lal Ji Temple Vrindavan: श्री राधा वल्लभ मंदिर, वृंदावन में श्री राधाकृष्ण एक युगल जोड़े के रूप में विराजित हैं। वो दो नहीं बल्कि एकाकार हैं। हरिवंश महाप्रभु राधा वल्लभ लाल जी के स्वरूप को लेकर वृंदावन आए। मदन टेर जिसे ऊंची ठौर कहा जाता है, वहां पर उन्हें विराजित किया। उनके बड़े पुत्र वंचन महाप्रभु गद्दी पर बैठे। हरिवंश महाप्रभु की गुरु राधारानी हैं और उनकी बगल में जो छोटी सी गद्दी है, वो राधा रानी के गुरु रूप की है।

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राधा वल्लभ मंदिर से मोहित मोराल गोस्वामी ने पंजाब केसरी के संवाददाता विक्की शर्मा को बताया हरिवंश महाप्रभु का 550 वां जन्मोत्सव वैशाख शुक्ल पक्ष एकादशी, जो इस वर्ष 1 मई को है, उस दिन मनाया जाएगा। श्री राधा वल्लभ मंदिर में इस उत्सव की धूम मची हुई है। न केवल भारत बल्कि विदेशों से भी राधा वल्लभ लाल जी के भक्त आ रहे हैं। मंदिर में 23 अप्रैल से लेकर 1 मई तक उत्सव चलेगा। इसमें अनेक प्रकार से राधा बल्लभ जी कुंजों में विराजेंगे। कईं तरह के कुंज हैं कपूर कुंज, खस कुंज, मयूर कुंज आदि में शाम के समय विराजित होकर अपने भक्तों को दर्शन देंगे।

प्रतिदिन शाम के समय उनके भक्त अपने नृत्य-गायन की कला को अपने स्वामी श्री राधा वल्लभ के सामने प्रकट करेंगे। प्रतिदिन महापुरुषों द्वारा लिखी वाणी का गायन होगा।

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अक्षय तीज के दिन अक्षय कुंज में विराजेंगे श्री राधा वल्लभ जी और फूल बंगले सजने आरंभ होंगे। अक्षय तीज पर चंदन के फूल बंगले में विराजेंगे श्री राधा वल्लभ। इसी क्रम में आगे चलते हुए नित्य फूल बंगले परिवर्तित होंगे जैसे गुलाब, चमेली, तोते के कीर की कूर आदि। इन फूल बंगलों को विशेष कारीगर नहीं बल्कि मंदिर के पुजारी और उनके प्रेमी भक्त अपने प्रेम भाव से सजाते हैं।  

1 मई को सुबह पहले तो हरिवंश महाप्रभु का बधाई गायन चलेगा। जब बधाई में जन्म का पद्य आएगा तो मंगला आरती होगी।  श्री राधा वल्लभ जी के गर्भगृह के उस समय दर्शन नहीं होंगे। उनके मंदिर के अंदर ही श्री राधा वल्लभ जी का अभिषेक होगा, बधाई गायन चलेगा। 9 बजे के लगभग श्रृंगार आरती होगी। उसके बाद मंदिर प्रांगण में दधिकांदा होगा। दधिकांदा में भक्त अपने मन की खुशी से टॉफियां, खिलौने, फल, मिठाई आदि लुटाते हैं।

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शाम को भजन-कीर्तन का प्रोग्राम चलेगा। सभी कुंजों का मिश्रण करके मंदिर प्रांगण को सजाया जाएगा। शाम को विशेष सवारी निकलेगी, जो राधा वल्लभ मंदिर से लेकर रास मंडल तक जाएगी। उसमें भक्त नाचते-गाते हुए राधा वल्लभ जी के प्रेम में रंग कर चलेंगे।

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