Edited By Niyati Bhandari,Updated: 31 Oct, 2023 08:54 AM
एक बार स्वामी रामकृष्ण परमहंस के दो शिष्यों में विवाद छिड़ गया। बहस इस बात पर शुरू हुई कि उन
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Sri Ramakrishna Paramahamsa Story: एक बार स्वामी रामकृष्ण परमहंस के दो शिष्यों में विवाद छिड़ गया। बहस इस बात पर शुरू हुई कि उन दोनों में बड़ा कौन है ?
मामला इतना बढ़ गया कि दोनों ने एक-दूसरे को शास्त्रार्थ की चुनौती दे दी। ज्ञान-विज्ञान जैसे गंभीर विषयों पर खुलकर चर्चा हुई लेकिन वे किसी निर्णय तक नहीं पहुंच पा रहे थे कि उनमें बड़ा कौन है।
जब उन्हें लगा कि किसी समाधान तक पहुंचना मुश्किल है तो वे अपने गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस के पास पहुंचे। उन्हें पूरी बात बताई। स्वामी जी ने शांत भाव से दोनों की बात सुनी। कुछ देर चुप रहकर स्वामी जी ने सोचा, ये दोनों ही समान प्रतिभा और योग्यता के धनी हैं। वह थोड़ा मुस्कुराए। उनकी मुस्कुराहट देखकर शिष्यों की आतुरता और बढ़ गई।
स्वामी जी ने अपने शिष्यों को संबोधित करते हुए कहा, “इस संसार में बड़ा वह है जो दूसरों को बड़ा मानता है। गुरु मुख से यह सुनकर विवाद का क्रम बदल गया। अब दोनों यह कहने के लिए तैयार हो गए कि मैं बड़ा नहीं हूं। अब दोनों प्रसन्नता से अध्ययन और उपासना से जुड़ गए।”
स्वामी जी ने विवाद को खत्म करने के लिए दोनों शिष्यों की धारा में न जाकर एक नई राह निकाली। दोनों में किसी एक को बड़ा कहते तो कहीं न कहीं उनके निर्णय पर प्रश्न उठता।