Swami Premanand Ji Maharaj Pravachan: चाहे दिन भर पूजा कर लो लेकिन इस समय साधना न की तो है लाभ अधूरा

Edited By Updated: 20 Nov, 2025 10:48 AM

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Swami Premanand Ji Maharaj Pravachan: वृंदावन के संत, राधा रानी के अनुरागी और करोड़ों भक्तों के आध्यात्मिक पथ-प्रदर्शक स्वामी प्रेमानंद जी महाराज अपने सरल और गूढ़ उपदेशों के लिए प्रसिद्ध हैं। महाराज कहते हैं कि संसार में यदि कोई समय दिव्यता से सबसे...

Swami Premanand Ji Maharaj Pravachan: वृंदावन के संत, राधा रानी के अनुरागी और करोड़ों भक्तों के आध्यात्मिक पथ-प्रदर्शक स्वामी प्रेमानंद जी महाराज अपने सरल और गूढ़ उपदेशों के लिए प्रसिद्ध हैं। महाराज कहते हैं कि संसार में यदि कोई समय दिव्यता से सबसे अधिक भरा हुआ है, तो वह है ब्रह्म मुहूर्त। सुबह का यह काल ईश्वर-स्मरण, ध्यान, जप और साधना का सर्वोत्तम समय माना गया है। चाहे दिन भर पूजा कर लो लेकिन ब्रह्म मुहूर्त में साधना न की तो लाभ अधूरा

स्वामी प्रेमानंद जी महाराज का कथन है कि, “ब्रह्म मुहूर्त में किया गया जप, ध्यान और स्मरण ही वास्तविक उपासना है। बाकी सब मन का संतोष है।”

इस दौरान मन शांत, वातावरण पवित्र और सूक्ष्म ऊर्जा सक्रिय रहती है। इसलिए साधना का प्रभाव सामान्य समय के मुकाबले कई गुना अधिक होता है।

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ब्रह्म मुहूर्त क्या है और इतना महत्वपूर्ण क्यों ?
शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय से लगभग 1.5 घंटे पहले का समय ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है। आमतौर पर सुबह 4:00 से 6:00 बजे तक।
यह समय “देव-काल”, “अक्षय मुहूर्त” और “भगवान का समय” माना गया है। मनुष्य का चित्त इस समय सबसे हल्का, ग्रहणशील और पवित्र होता है।

सुबह जल्दी उठना क्यों जरूरी ?
एक भक्त द्वारा पूछे गए प्रश्न पर स्वामी प्रेमानंद जी ने उत्तर दिया, “जो ब्रह्म मुहूर्त में नहीं उठ सकता, वह साधना के मार्ग पर पूर्णता से नहीं चल रहा।”

इस समय सोना आलस्य का संकेत है। आध्यात्मिक प्रगति रोकता है। जीवन में सकारात्मक ऊर्जा घटाता है। भले ही व्यक्ति दिन भर कितनी भी पूजा-पाठ करे, ब्रह्म मुहूर्त की साधना न होने पर उसका पूरा फल नहीं मिलता।

ब्रह्म मुहूर्त में सोना क्यों हानिकारक ?
महाराज के अनुसार: यह समय जीवन-ऊर्जा का चरम बिंदु होता है। इस दौरान नींद, भारीपन और आलस्य बढ़ता है। साधना की ऊपरी परतें भी सक्रिय नहीं हो पाती। जो व्यक्ति 4–6 बजे के बीच सो रहा है, वह मानसिक, आध्यात्मिक और ऊर्जात्मक लाभ खो देता है।

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रात में साधना करने वालों को छूट
यदि कोई साधक रात 2–3 बजे तक भजन, कीर्तन, ध्यान या मंत्र जाप करता है, तो उसे देर से उठने की छूट है लेकिन बिना कारण देर तक सोना मनुष्य को तमस, आलस्य और अज्ञान की ओर ले जाता है।

ब्रह्म मुहूर्त में की गई साधना का फल
मन और चेतना पवित्र
मंत्र जाप का कई गुना प्रभाव
तनाव, क्रोध और भ्रम का नाश
भगवान की विशेष कृपा
घर-परिवार में शांति
आध्यात्मिक ऊर्जा का उदय

Swami Premanand Ji Maharaj के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त ही है सच्ची उपासना। महाराज कहते हैं, “जो साधक ब्रह्म मुहूर्त में जागकर अपने ईष्ट का स्मरण करता है, उस पर भगवान स्वयं प्रसन्न होते हैं।”

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