इस खास मुद्रा में क्यों लेटे हैं दिखाई देते हैं वास्तुपुरुष, जानने के लिए करें क्ल्कि

Edited By Updated: 02 Jul, 2021 08:48 PM

the story of vastu purusha

अक्सर आप में से कई लोगों ने देखा या सुना होगा कि वास्तु शास्त्र की वास्तु पुरुष की कल्पना भूखंड के एक ऐसे औंधे मुंह पड़े पुरुष के रूप में की जाती है जिसमें उस पुरुष का मुंह ईशान कोण वह पैर नेैऋृत्य कोण की ओर होते हैं।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अक्सर आप में से कई लोगों ने देखा या सुना होगा कि वास्तु शास्त्र की वास्तु पुरुष की कल्पना भूखंड के एक ऐसे औंधे मुंह पड़े पुरुष के रूप में की जाती है जिसमें उस पुरुष का मुंह ईशान कोण वह पैर नेैऋृत्य कोण की ओर होते हैं। तथा उसकी भुजाएं व कंधे वायव्य कोण व अग्निकोण के ओर मुड़ी हुई रहती है। पर क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों वास्तु शास्त्र में ऐसे ही पुरुष की कल्पना की गई है, और कौन हैं ये वास्तु पुरुष। अगर नहीं तो चलिए आपको बताते हैं इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा जो हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक माने जाने वाले मत्स्य पुराण में वर्णित है।

मत्स्य पुराण में उल्लेखित वास्तु पुरुष से जुड़ी कथा के अनुसार है कि एक बार की बात है देवताओं और असुरों में युद्ध हो रहा था।  जिसमें अश्रु की ओर से अंधकासुर और देवताओं की ओर से भगवान शिव शंकर युद्ध कर रहे थे। युद्ध में दोनों के प्रश्नों की कुछ बूंदे जब भूमि पर गिरी तो एक अत्यंत बलशाली और विराट पुरुष की उत्पत्ति हुई जिसने पूरी धरती को ढक लिया। इस विराट पुरुष से देवता तथा सभी असुर भी भयभीत होने लगे कि यह पुरुषों की ओर से है जबकि असुरों को लगा कि यह पुरुष नेताओं की तरफ से कोई नया देवता प्रकट हुआ है। इस विस्मय के कारण युद्ध थम गया और सभी देवता और असुर उस विराट पुरुष को पकड़कर ब्रह्मा जी के पास चले गए।

देवताओं व असुरों के आग्रह करने पर ब्रह्मा जी ने उस पुरुष के बारे में बताया कि यह भगवान शिव और अंधकासुर के युद्ध के दौरान उनके शरीर से गिरे पसीने की बूंदों से प्रकट हुआ है जिस कारण इसे लोग धरतीपुत्र के नाम से जानेंगे।

कथाओं के अनुसार ब्रह्मदेव ने उस विराट पुरुष को संबोधित कर उसे अपना मानस पुत्र होने की संज्ञा दी और उसका नामकरण करते हुए कहा कि आज से तुम्हें संसार में वास्तु पुरुष के नाम से जाना जाएगा और तुम्हें इस के कल्याण के लिए धरती में समाहित होना पड़ेगा। जिसका अर्थात है कि उस वास्तु पुरुष का वास धरती के अंदर होगा।

इसके अलावा ब्रह्मदेव ने वास्तु पुरुष को यह वरदान दिया कि कोई व्यक्ति धरती के किसी भी भूभाग पर कोई भी मकान तालाब या मंदिर आदि का निर्माण करेगा तो उस समय उसे वास्तु पुरुष को ध्यान में रखना होगा तभी उसे अपने जीवन में सफलता और हर कार्य में सिद्धि प्राप्त होगी। जो तुम्हारा पूजन करके निर्माण का कार्य करेगा तो उसे अपने जीवन में किसी भी प्रकार की तकलीफ है और अड़चनों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

मान्यता है कि ऐसा सुनकर वह वास्तु पूर्व धरती पर आया और ब्रह्मदेव के निर्देशानुसार एक विशेष मुद्रा में धरती में बैठ गया जिससे उसकी पीठ नेैऋृत्य कोण व मुख ईशान कोण में था। इसके उपरांत दोनों हाथों को जोड़कर पिता ब्रह्मदेव एवं धरती माता को नमस्कार करते हुए औंधे मुंह धरती में निवास कर गया।

 

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!