Edited By Prachi Sharma,Updated: 04 Aug, 2025 11:24 AM

Titlagarh Shiva Temple: ओडिशा के टिटलागढ़ इलाके में स्थित एक अनोखा शिव मंदिर अपनी ठंडक के लिए जाना जाता है, जो कि वहां की प्रचंड गर्मी के बावजूद ठंडा रहता है। यह मंदिर कुम्हड़ा पहाड़ पर बना हुआ है, जो टिटलागढ़ के सबसे गर्म और पथरीले इलाके में आता है।
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Titlagarh Shiva Temple: ओडिशा के टिटलागढ़ इलाके में स्थित एक अनोखा शिव मंदिर अपनी ठंडक के लिए जाना जाता है, जो कि वहां की प्रचंड गर्मी के बावजूद ठंडा रहता है। यह मंदिर कुम्हड़ा पहाड़ पर बना हुआ है, जो टिटलागढ़ के सबसे गर्म और पथरीले इलाके में आता है। आमतौर पर टिटलागढ़ को ओडिशा का सबसे गर्म स्थान माना जाता है, लेकिन इस मंदिर में प्रवेश करते ही मानो वातावरण एकदम बदल जाता है।
गर्मी के मौसम में जब आसपास का तापमान काफी अधिक होता है, तब भी इस मंदिर के अंदर ठंडक बनी रहती है। यहां तक कि लोग इसे एसी कमरे जैसी ठंडक बताते हैं। इस पवित्र स्थान में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। भक्तों के अनुसार, यहां आने पर न केवल आध्यात्मिक शांति मिलती है, बल्कि वातावरण भी अत्यंत सुखद और ठंडा महसूस होता है। मंदिर की यह विशेषता इसे बाकी जगहों से अलग बनाती है और हर साल सैकड़ों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

History of the Temple मंदिर का इतिहास
स्थानीय निवासियों की मानें तो टिटलागढ़ के कुम्हड़ा पहाड़ पर स्थित यह शिव मंदिर बहुत प्राचीन है। हालांकि, इसके निर्माण का समय या इसे किसने बनवाया, इस बारे में कोई स्पष्ट ऐतिहासिक प्रमाण मौजूद नहीं है। मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमाएं स्थापित हैं, और यह स्थल लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां के पुजारियों का कहना है कि इन प्रतिमाओं से ठंडी ऊर्जा निकलती है, जिससे मंदिर परिसर में हमेशा ठंडक बनी रहती है। गर्मी के मौसम में भी मंदिर के भीतर वातावरण इतना ठंडा रहता है कि कई बार लोगों को वहां कंबल ओढ़कर सोना पड़ता है। यही अद्भुत अनुभव इस मंदिर को और भी खास बनाता है और दूर-दराज से श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचता है।

यह मंदिर दिखने में भले ही अन्य शिव मंदिरों जैसा हो लेकिन इसकी बनावट और संरचना में कुछ अनोखे तत्व हैं जो इसे बाकी मंदिरों से अलग पहचान देते हैं। मंदिर के भीतर एक छोटा कुंड बना हुआ है, जिसमें पूरे साल पानी मौजूद रहता है। खास बात यह है कि इस कुंड का पानी हमेशा ठंडा रहता है, चाहे बाहर कितनी भी गर्मी क्यों न हो। माना जाता है कि यही ठंडा पानी मंदिर के वातावरण को शीतल बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही वास्तुशिल्प विशेषता इस मंदिर को और भी अद्वितीय बनाती है।
