Edited By Prachi Sharma,Updated: 25 Oct, 2025 08:13 AM

Ujjain Mahakal Temple: विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन में आने वाले लाखों भक्तों को जल्द ही एक नया और अनूठा धार्मिक अनुभव मिलने वाला है। मंदिर प्रशासन ने भक्तों की सुविधा और धार्मिक माहौल को और समृद्ध करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है।
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Ujjain Mahakal Temple: विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन में आने वाले लाखों भक्तों को जल्द ही एक नया और अनूठा धार्मिक अनुभव मिलने वाला है। मंदिर प्रशासन ने भक्तों की सुविधा और धार्मिक माहौल को और समृद्ध करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है।
महाकाल बैंड के नाम से मंदिर समिति अपना एक बैंड शुरू करने जा रही है, जिसके सदस्य जल्द ही आरती से पहले अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। यह बैंड भक्तों को भक्तिमय संगीत और कला का एक अद्भुत संगम प्रदान करेगा। मंदिर समिति के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल के अनुसार, यह बैंड पूरे 12 ज्योतिर्लिंगों में अपनी तरह का पहला होगा, जिससे श्रद्धालु दर्शन के साथ-साथ भगवान की स्तुति का भी आनंद ले सकेंगे। बैंड की रोजाना रिहर्सल चल रही है।
मंदिर के पुजारी महेश पुजारी ने बताया कि भगवान शिव को संगीत और नृत्य का देवता माना जाता है, इसलिए उन्हें नटराज भी कहते हैं। पौराणिक कथाओं में शिव को वाद्यों का रचयिता भी कहा गया है। यही कारण है कि महाकाल मंदिर की पूजन परंपरा में वाद्य वादन का विशेष महत्व है, और श्रावण महोत्सव जैसे उत्सवों में भी संगीत-नृत्य के कार्यक्रम होते हैं।
हालांकि, यह अभी तय नहीं किया गया है कि बैंड किस-किस आरती में प्रस्तुति देगा। चूंकि महाकाल की दिन में पांच आरतियां होती हैं (सुबह 4 बजे की भस्म आरती से लेकर रात 10:30 बजे की अंतिम आरती तक), इसलिए एक ही दल का पूरे दिन प्रदर्शन करना संभव नहीं होगा।
बैंड के लिए आवश्यक वाद्य यंत्रों की खरीद दानदाताओं की मदद से की गई है और बैंड के सदस्यों के लिए एक ड्रेस कोड भी निर्धारित किया गया है। बता दें कि मंदिर में पहले से ही सिंधिया शासन काल से चली आ रही शहनाई और नगाड़े की परंपरा मौजूद है, जिसके तहत सुबह 7 बजे की आरती और शाम 7 बजे की संध्या आरती में शहनाई वादन होता है।