सिख धर्म की भक्ति और आस्था का केंद्र है स्वर्ण मंदिर, जानिए कुछ अनजानी बातें

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Jun, 2017 12:15 PM

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पंजाब के अमृतसर में सिखों की भक्ति और आस्था का केंद्र धार्मिक गुरुद्वारा स्थित है। जिसे श्री हरमंदिर साहिब, श्री दरबार साहिब और विशेष रूप से स्वर्ण मंदिर के नाम

पंजाब के अमृतसर में सिखों की भक्ति और आस्था का केंद्र धार्मिक गुरुद्वारा स्थित है। जिसे श्री हरमंदिर साहिब, श्री दरबार साहिब और विशेष रूप से स्वर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां सभी धर्मों के लोग अपना सिर झुकाते हैं। स्वर्ण मंदिर की स्थापना 1574 में चौथे सिख गुरु रामदासजी ने की थी। पांचवे सिख गुरु अर्जुन ने हरमंदिर साहिब को डिज़ाइन किया। माना जाता है कि 19वीं शताब्दी में अफगान हमलावरों ने इस मंदिर को पूरी तरह नष्ट कर दिया था। तब महाराजा रणजीत सिंह ने इसे दोबारा बनवाया था और सोने की परत से सजाया था। धार्मिक महत्वता होने के बावजूद भी स्वर्ण मंदिर के बारे में कुछ ऐसी बाते हैं, जिनसे कई लोग अनजान हैं।
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इसकी सबसे रोचक बात यह है कि यह मंदिर सफ़ेद मार्बल से बना हुआ है और जिसे असली सोने से ढका गया है। जिसके कारण इसे स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है।

स्वर्ण मंदिर के निर्माण के लिए मुस्लिम शासक अकबर ने जमीन दान की थी। 

मंदिर की नींव सूफी संत साईं मियां मीर ने रखी थी। 

महाराजा रणजीत सिंह ने स्वर्ण मंदिर के निर्माण के लगभग 2 शताब्दी बाद यहां की दीवारों पर सोना चढ़वाया था।

ब्रिटिश सरकार ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जीत के लिए यहां अखंड पाठ करवाया था।

अहमद शाह अब्दाली के सेनापति जहां खान ने इस मंदिर पर हमला किया था। सिख सेना ने इसके जवाब में उसकी पूरी सेना को खत्म कर दिया था। 

चारों दिशाओं से इस मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं क्योंकि चारों दिशाओं में इस मंदिर के प्रवेश द्वार बने हुए हैं। मंदिर में चार द्वार चारों धर्म की एकता के रूप में बनाए गए थे। 

यहां दुनिया का सबसे बड़ा लंगर लगाया जाता है। यहां प्रतिदिन 50,000 लोग लंगर ग्रहण करते हैं। 

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