Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Jun, 2025 12:39 PM

Vat Savitri Vrat 2025: ज्येष्ठ माह की अमावस्या को वट सावित्री के पूजन का विधान है। बहुत सारे स्थानों पर वट पूर्णिमा के दिन भी ये पर्व मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं दीर्घ सुखद वैवाहिक जीवन हेतु बरगद पूजन करती हैं। मान्यतानुसार सावित्री ने वट वृक्ष...
Vat Savitri Vrat 2025: ज्येष्ठ माह की अमावस्या को वट सावित्री के पूजन का विधान है। बहुत सारे स्थानों पर वट पूर्णिमा के दिन भी ये पर्व मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं दीर्घ सुखद वैवाहिक जीवन हेतु बरगद पूजन करती हैं। मान्यतानुसार सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे पड़े अपने मृत पति सत्यवान को यमराज से जीता था। महिलाएं विधिविधान से वट पूजन करने के बाद ही जल ग्रहण करती हैं। शास्त्रानुसार बरगद को शिव स्वरूप माना गया है। प्राचीन ग्रंथ वृक्षायुर्वेद के अनुसार जो बरगद का वृक्ष लगाता है, वह शिव धाम को प्राप्त होता है। पाराशर मुनि के अनुसार- 'वट मूले तोपवासा' ऐसा कहा गया है।
इस दिन विधिपूर्वक बरगद वृक्ष के विशेष पूजन से हर कार्य में सफलता मिल सकती है।
पुराणों में यह स्पष्ट किया गया है कि वट में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास है। अतः इस दिन किए गए उपाय व साधना सुहागन महिलाओं को विशेष फल देते हैं।
अखंड सौभाग्य और आरोग्य के लिए वट सावित्री के उत्तम योग पर अपनाएं कुछ उपाय
बरगद के वृक्ष पर सूत को लाल व पीला करके लपेटने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
अखण्ड सौभाग्य व परिवार की समृद्धि के लिए अक्षयवट की परिक्रमा करते समय 108 बार सफेद रंग का सूत लपेटें।
बरगद के वृक्ष की जड़ में मीठी लस्सी (मीठा दही) चढ़ाने से मंगल, शनि राहू जैसे अनिष्ट ग्रह शांत होते हैं।