Edited By Jyoti,Updated: 23 Jun, 2018 12:42 PM
राजस्थान के जिले जोधपुर में बिलाड़ा नामक गांव में श्री आई जी माता मंदिर स्थापित है। यह मंदिर राजस्थान के साथ-साथ पूरे भारत में प्रसिद्ध है। इसके साथ ही इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर को एक पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है।
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राजस्थान के जिले जोधपुर में बिलाड़ा नामक गांव में श्री आई जी माता मंदिर स्थापित है। यह मंदिर राजस्थान के साथ-साथ पूरे भारत में प्रसिद्ध है। इसके साथ ही इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर को एक पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। इस मंदिर की सबसे अजीब बात यह है कि परिसर में प्रज्वलित अखंड ज्योति से काजल की जगह केसर निकलता है, जिसे अपने आंखों पर लगाने से भक्तों के आंखों संबंधित सभी रोग मिट जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां देवी मां आकर ठहरी थी, जिस कारण इस मंदिर का नाम आई जी माता पड़ा।
मान्यता है कि मां दुर्गा का ये अवतार श्री आईमाता गुजरात के अम्बापुर में अवतरित हआ था। कहते हैं कि अम्बापुर में कई चमत्कारों के पश्चात श्री आईमाता जी भ्रमण करते हुए बिलाड़ा आईं। यहां पर उन्होंने भक्तों को 11 गुण व सदैव सन्मार्ग पर चलने के सदुपदेश दिए जिसे आज भी लोग जानते हैं और उनके दिए आशीर्वाद को समझ कर उसका पालन भी करते हैं। इन उपदेशों के बाद एक दिन उन्होंने हज़ारों भक्तों के समक्ष स्वयं को अखंड ज्योति में विलीन कर दिया। जिसमें से अब केसर प्रकट होता है, जो आज भी मंदिर में माताजी की उपस्थिति का साक्षात प्रमाण है।
भक्तों का विश्वास है कि इस अखण्ड ज्योति के दर्शन से ही हर तरह की परेशानी से निजात मिल जाती है। यहां माता की मात्र तस्वीर है जो गद्दी पर विराजित हैं। आई जी माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि ज्योति से टपकने वाली केसर लगाने से आंखों के रोग के साथ अन्य रोग भी ख़त्म हो जाते है। खास कर यहां नवरात्रि में भक्तों का तांता लगा रहता है। संगमरमर से बने मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। मंदिर में पहुंचकर मन को बहुत ही सुकून मिलता है और स्वर्ग का अनुभव होता है।
पौराणिक कथा-
कुछ प्राचीन मान्यताओं के अनुसार दीवान वंशज के राजा माधव अचानक कहीं गायब हो गए थे और माता उन्हें ढूंढने निकली। राजा माधव माता को इसी गांव में मिले थे। तभी से मां इस मंदिर में विराजित हैं इस मंदिर के अंदर जलने वाला अखंड दीपक करीब 550 वर्षों से जल रहा है।
लोगों के मतानुसार इस अखंड दीपक से निकले वाली लौ से निकलने वाला पदार्थ केसर है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार आज से 550 साल पहले आई जी माता ने स्वयं इस ज्योति को विलीन कर लिया था। तभी से यह देसी घी की अखंड ज्योति जलती आ रही है।
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