Yulla kanda Temple: इस मंदिर में टोपी तय करती है भाग्य, जानिए श्री कृष्ण के इस रहस्यमयी मंदिर की अनोखी परंपरा

Edited By Updated: 20 Aug, 2025 07:00 AM

yulla kanda temple

Yulla kanda Temple: हिमाचल प्रदेश, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, अपनी पवित्रता और अध्यात्मिकता के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां की घाटियां, पहाड़ और झीलें केवल प्राकृतिक रूप से सुंदर ही नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था का केंद्र भी हैं।

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Yulla kanda Temple: हिमाचल प्रदेश, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, अपनी पवित्रता और अध्यात्मिकता के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां की घाटियां, पहाड़ और झीलें केवल प्राकृतिक रूप से सुंदर ही नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था का केंद्र भी हैं। इन्हीं में से एक झील किन्नौर जिले के यूला कंडा क्षेत्र में स्थित है, जो एक अनोखी धार्मिक मान्यता के कारण श्रद्धालुओं का ध्यान खींचती है। इस झील के मध्य में भगवान श्रीकृष्ण का एक प्राचीन मंदिर स्थित है, जो समुद्र तल से बहुत ऊंचाई पर बना हुआ है। मान्यता है कि यह मंदिर पांडवों द्वारा उनके अज्ञातवास के समय बनवाया गया था। लोगों का विश्वास है कि यह स्थान केवल पूजा का केंद्र नहीं, बल्कि भाग्य को दिशा देने वाला स्थल भी है।

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित भगवान श्रीकृष्ण के एक प्राचीन मंदिर से जुड़ी एक अनोखी परंपरा जन्माष्टमी के अवसर पर निभाई जाती है। इस मंदिर के पास बहने वाली पवित्र झील में लोग किन्नौरी टोपी उल्टी करके डालते हैं। मान्यता है कि यदि टोपी पानी में डूबे बिना तैरती हुई झील के दूसरी ओर पहुंच जाए, तो व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है और उसके लिए आने वाला समय शुभ और सुखमय माना जाता है। लेकिन अगर टोपी पानी में डूब जाती है, तो यह संकेत माना जाता है कि भविष्य में कोई कठिनाई या परेशानी आ सकती है। यही कारण है कि लोग बड़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस परंपरा में भाग लेते हैं।

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यह मान्यता न सिर्फ किन्नौर तक सीमित है, बल्कि शिमला और आसपास के अन्य जिलों से भी लोग यहां अपने भाग्य की परीक्षा लेने आते हैं। यहां तक कि दूर-दराज से आए पर्यटक भी इस रहस्यमयी और रोमांचक परंपरा को अपनाने से खुद को रोक नहीं पाते। मंदिर दर्शन के बाद लोग झील की परिक्रमा करना भी आवश्यक मानते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस झील की परिक्रमा करने से व्यक्ति के पाप मिट जाते हैं और आत्मा को शांति मिलती है। यह स्थल न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है बल्कि लोक परंपराओं और आस्थाओं की गहराई को भी दर्शाता है।

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12 हजार फीट की ऊंचाई पर बना है मंदिर

भगवान श्रीकृष्ण के इस पावन मंदिर में जन्माष्टमी के मौके पर हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। दूर-दराज गांवों और इलाकों से लोग इस खास अवसर से एक दिन पहले ही यूला कंडा आ जाते हैं। मंदिर प्रबंधन की ओर से यहां आने वाले लोगों के लिए रहने और खाने-पीने की अच्छी व्यवस्था की जाती है, जिससे उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो।

यह प्राचीन मंदिर समुद्र तल से करीब 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को लगभग 14 किलोमीटर का कठिन पैदल सफर तय करना पड़ता है। रास्ता काफी दुर्गम और चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन लोगों की आस्था और भगवान श्रीकृष्ण के प्रति श्रद्धा इतनी गहरी होती है कि ये सारी कठिनाइयां उन्हें छोटी लगने लगती हैं। भक्ति की यह ताकत ही उन्हें हर मुश्किल को पार करने की हिम्मत देती है।

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