Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Jul, 2017 01:33 PM
उत्तरप्रदेश-मध्यप्रदेश सीमा पर अौड़ी पहाड़ी में झिंगुरदा हनुमान मंदिर स्थित है। यह दुनिया का ऐसा इकलौता मंदिर है, जहां लड्डू, माला-फूल चढ़ाने से पहले नारियल की बलि चढ़ाई
उत्तरप्रदेश-मध्यप्रदेश सीमा पर अौड़ी पहाड़ी में झिंगुरदा हनुमान मंदिर स्थित है। यह दुनिया का ऐसा इकलौता मंदिर है, जहां लड्डू, माला-फूल चढ़ाने से पहले नारियल की बलि चढ़ाई जाती है। यहां पर भक्त मन्नत के लिए नारियल में चुनरी बांधते हैं अौर मुराद पूर्ण होने पर इसे खोलकर भंडारा देते हैं। इसके अतिरिक्त यहां कल अर्पित करने की भी परंपरा है। इसके लिए फूल यहां से महज दो से तीन किमी की दूरी पर प्राकृतिक सुषमा समेटे टिप्पा झरिया सरोवर से लाए जाते हैं। झरिया सरोवर में साल के बारहों महीने कमल खिला रहता है।
कहा जाता है कि इस स्थान पर दो हजार साल पूर्व खुद ब खुद ही प्रतिमा प्रकट हुई थी। जिसके बाद सिंगरौली राजघराने ने विधिवत पूजन-अर्चन शुरू कराया। 200 साल पूर्व सिंगरौली राजघराने की तरफ से यहां दक्षिण भारत की शैली में भव्य हनुमान मंदिर का निर्माण भी कराया गया। ये भी कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी के काल में समर्थ गुरु रामदास ने भी यहां आकर हनुमानजी की आराधना की थी। तांत्रिकों की नजर में भी यह सिद्धपीठ काफी महत्वपूर्ण है।
यहां पहुंचने के लिए निजी साधन ही सहारा है। अनपरा के कहुआनाला होकर बिछड़ी जंगल से होते हुए महज तीन से चार किमी की दूरी तय कर मंदिर पहुंचा जा सकता है। वहीं अनपरा सिंगरौली रोड से मोरवा होते हुए झिंगुरदा के रास्ते पर मंदिर पहुंचने का रास्ता है। इसकी दूरी करीब 15 किमी है।