दृष्टिहीन किरदार निभाना मुश्किल था, दृष्टि 85% कम करने के लिए विशेष लैंस मंगवाए थे- विक्रांत मैसी

Updated: 11 Jul, 2025 11:12 AM

aankhon ki gustakhiyaan exclusive interview with punjab kesari

फिल्म आंखों की गुस्ताखियां के बारे में शनाया कपूर और विक्रांत मैसी ने पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी और हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। बॉलीवुड एक्टर संजय कपूर की लाडली शनाया कपूर फिल्म 'आंखों की गुस्ताखियां' से अपना बॉलीवुड डेब्यू कर रही हैं। यह एक रोमांटिक ड्रामा फिल्म है, जो प्यार, भावनाओं और रिश्तों की गहराई को बारीकी से पेश करती है। फिल्म में शनाया के साथ बॉलीवुड के दमदार एक्टर विक्रांत मैसी लीड रोल में हैं। ट्रेलर में शनाया और उनके को-स्टार की केमिस्ट्री को दर्शकों ने खूब सराहा है। फिल्म की कहानी की झलक ने भी लोगों की दिलचस्पी बढ़ा रही है। 'आंखों की गुस्ताखियां' 11 जुलाई 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है। फिल्म के बारे में शनाया कपूर और विक्रांत मैसी ने पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी और हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

शनाया कपूर

सवाल: डेब्यू फिल्म में ही आंखें ढकी होने के बावजूद किरदार निभाना आपके लिए कितना चुनौतीपूर्ण था?
जवाब:
यह बहुत ही चैलेंजिंग था। मैं तो बहुत ही नर्वस थी। मुझे याद है जब पहली बार मैं ब्लाइंडफोल्ड पहने हुए थी तो मेरी सारी लाइन्स भूल गई थी। मुझे लगा कि मैंने सब कुछ सीख लिया है, तैयार हूं शूट करने के लिए, लेकिन जैसे ही ब्लाइंडफोल्ड पहना, सब कुछ भूल गई। मेरे सारे विचार, किरदार का कन्फ्लिक्ट, वो सब कुछ। मैं समझ पाई कि यह प्रेपरेशन बहुत टाइम लेगा और मुझे कंफर्टेबल होने के लिए बहुत मेहनत करनी होगी। क्योंकि अगर शनाया को कंफर्टेबल बना लिया, तो वह फिल्म में कुछ भी कर सकती है।

सवाल: फिल्म में आप दोनों की केमिस्ट्री बहुत ही दिलचस्प लग रही है। इसके बारे में क्या कहेंगे?
जवाब:
यह बहुत सुंदर है। जब आप एक साथ काम करते हो, तो यह जरूरी है कि दोनों एक-दूसरे को समझें और समर्थन दें और यही हमारे बीच की केमिस्ट्री को स्क्रीन पर दिखाता है।

सवाल: क्या इस तरह के रोल में काम करना आपके लिए आसान था, जहां एक्सप्रेशन और आवाज से ही सब कहना था?
जवाब:
जी हां, मैं उस पर बहुत समय बिताया। सेट पर जाकर, कंफर्टेबल हुई तो मेरा काम आसान हो गया। किरदार में जितनी गहराई है, उसे निभाना सबसे महत्वपूर्ण था। तो सेट पर अगर कंफर्ट होता है तो आपके रोल में भी दिखता है निभाना और आसान हो जाता है।

विक्रांत मैसी 

सवाल: आपके पुराने किरदारों को देखें तो यह बहुत ही अलग है। रोमांटिक फिल्म में काम करने का विचार क्या था या ये इत्तेफाक था?
जवाब:
नहीं, प्रयास तो हमेशा यही रहता है कि अलग-अलग किरदार निभाऊं। मैं हमेशा खुद को चैलेंज करना चाहता हूं। रोमांटिक फिल्में मैंने कभी पूरी तरह से की नहीं थीं। जब यह फिल्म आई, तो लगा कि यह अलग है और चैलेंजिंग भी है, तो मैंने इसे चुना।

सवाल: आपने एक दृष्टिहीन किरदार निभाया है। क्या यह कठिन था? इसकी तैयारी कैसे की?
जवाब:
यह बहुत ही कठिन था। मैंने अपनी दृष्टि को 80-85% तक कम करने के लिए विशेष लेंस मंगवाए थे। इससे मुझे सही बॉडी लैंग्वेज और सुनने के तरीके को सही से समझने में मदद मिली और फिर, दो इंस्ट्रूमेंट्स –गिटार और पियानो भी सीखने पड़े। यह बहुत सारे चैलेंज थे, लेकिन मैंने कोशिश की कि यह किरदार पूरी तरह से ईमानदारी से निभाऊं।

सवाल: फिल्म को लेकर दर्शकों से क्या अपील करना चाहेंगे?
जवाब:
हम सबने बहुत मेहनत और ईमानदारी से यह फिल्म बनाई है, जिसका नाम है आंखों की गुस्ताखियां 11 जुलाई को यह फिल्म आपके नजदीकी सिनेमा हॉल्स में रिलीज होगी। हम आपसे उम्मीद करते हैं कि आप इसे देखें, प्यार दें और विशेष रूप से शनाया कपूर के डेब्यू को सराहें।

सवाल: फिल्म के जो गाने आ रहे हैं, वह धमाल मचा रहे हैं आप दोनों कैसा महसूस कर रहे हैं?

शनाया
जवाब:
मैं बहुत खुश हूं और आभारी हूं कि ऑडियंस को हमारे गाने पसंद आ रहे हैं। विशाल मिश्रा के गाने हमेशा बेहतरीन होते हैं। वह विशेष रूप से हमारे किरदारों और हमारी कहानी के लिए लिखते हैं।

विक्रांत
जवाब:
विशाल मिश्रा के गाने हमेशा एक कहानी सुनाते हैं, जो हमारे सफर से जुड़ी होती है। अलविदा और नज़ारा जैसे गाने बहुत ही खास हैं।

सवाल:‘आंखों की गुस्ताखियां’ को क्या और भी अलग व खास बनाता है?

शनाया
जवाब:
इस फिल्म में बहुत सारे flaws और गलतियां हैं जो इसे और ज्यादा रिलेटेबल बनाती हैं। हम जो दिखाते हैं वह किसी और की तरह नहीं है। यह कहानी बहुत असल और सच्ची है और यही चीज इसे खास बनाती है।

विक्रांत
जवाब:
यह फिल्म बहुत ही सच्ची और वास्तविक किरदारों पर आधारित है। इन किरदारों के बीच जो समझ और जिंदादिली है, वह ऑडियंस से जुड़ती है। कोई भी कहानी सिर्फ सफेद या काले रंग में नहीं होती, यह हमेशा ग्रे एरिया में होती है, जो रिलेटेबल है। यही इस फिल्म की खूबसूरती है।

 

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