बांग्लादेश में हिंदू युवक की हत्या पर ब्रिटेन सख्त, सांसद मॉरिसन ने यूनुस सरकार को लगाई लताड़

Edited By Updated: 24 Dec, 2025 09:20 PM

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बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा निर्मम हत्या पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आक्रोश बढ़ गया है। ब्रिटिश सांसद टॉम मॉरिसन ने ब्रिटेन के विदेश मंत्री को पत्र लिखकर इस घटना की कड़ी निंदा की और इसे 'प्रशासन की बड़ी चूक' बताया। उन्होंने...

इंटरनेशनल डेस्क : बांग्लादेश के मयमनसिंह जिले में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा निर्मम हत्या ने भारत में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। देश के कई राज्यों में इस घटना के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं, वहीं विदेशों में भी इसकी निंदा की जा रही है। इस बीच ब्रिटेन के सांसद टॉम मॉरिसन ने इस मामले को लेकर ब्रिटेन के विदेश मंत्री को पत्र लिखा है।

सांसद टॉम मॉरिसन का पत्र: घटना बेहद क्रूर
सांसद टॉम मॉरिसन ने अपने पत्र में बताया कि 18 दिसंबर को दीपू चंद्र दास को भीड़ ने बेरहमी से पीटा और फिर उसके शव को पेड़ से लटकाकर आग लगा दी। उन्होंने इस घटना को बेहद क्रूर और डराने वाला करार दिया और इसकी कड़ी निंदा की। सांसद ने कहा कि प्रारंभ में इस हत्या को ब्लास्फेमी (ईश-निंदा) के आरोपों से जोड़ा गया था, लेकिन बाद में बांग्लादेशी एजेंसियों ने स्पष्ट किया कि ऐसे कोई सबूत नहीं मिले। जांच में सामने आया कि यह मामला मूलतः कामकाज से संबंधित विवाद से शुरू हुआ था, जो अफवाहों के फैलाव के कारण हिंसा में बदल गया।

प्रशासन की चूक पर सवाल
पत्र में सांसद ने यह भी सवाल उठाया कि युवक को सुरक्षा के बहाने भीड़ के हवाले क्यों किया गया। उन्होंने इसे प्रशासन की बड़ी चूक बताया। सांसद ने कहा कि इस घटना से ब्रिटेन में रहने वाले हिंदू समुदाय में गहरी चिंता और गुस्सा व्याप्त है। उन्होंने ब्रिटिश सरकार से आग्रह किया है कि वह बांग्लादेश सरकार से सख्ती से बात करे, मामले की निष्पक्ष जांच कराए और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।

कार्यस्थल पर हमला और हिंसक व्यवहार
सांसद ने पत्र में लिखा कि दीपू दास जो एक कपड़ा कारखाने में काम करता था और अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला था, उस पर कार्यस्थल के बाहर भीड़ ने हमला किया और पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी। उसके शव को बाद में पेड़ से लटका कर आग लगा दी गई। सांसद ने कहा कि यह घटना एक चिंताजनक प्रवृत्ति को उजागर करती है, जिसमें गलत आरोप, सांप्रदायिक पूर्वाग्रह और भीड़ का हिंसक व्यवहार मिलकर घातक परिणाम पैदा कर सकता है, खासकर धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ।

सुरक्षा के बहाने भीड़ के हवाले
उन्होंने यह भी बताया कि दास को पहले उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के बहाने उसके कार्यस्थल से हटाया गया था, लेकिन बाद में उसे गुस्साई भीड़ के हवाले कर दिया गया। सांसद ने आगे कहा कि ब्रिटिश हिंदू समुदाय के नेताओं ने उनसे संपर्क किया है और इस घटना के कारण वे बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की बिगड़ती स्थिति को लेकर बेहद चिंतित हैं। कई लोग बांग्लादेश में अपने पारिवारिक रिश्तों और संबंधों के कारण भयभीत हैं और उन्हें डर है कि सामान्य विवादों को अल्पसंख्यकों के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, उन्हें कानून के शासन पर भरोसा कम है कि उन्हें सुरक्षा या न्याय मिले।

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