Edited By Shubham Anand,Updated: 23 Dec, 2025 03:28 PM

बांग्लादेश में हुए हिन्दू युवक के हत्या के विरोध में कोलकाता में विश्व हिंदू परिषद के सदस्य विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जिसमें पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई है और कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए हैं। पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में...
नेशनल डेस्क : बांग्लादेश में कथित तौर पर हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) द्वारा किया गया विरोध प्रदर्शन उस समय हिंसक हो गया, जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड को तोड़ने का प्रयास किया। हालात बिगड़ते देख पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, जिसमें कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए, जबकि कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया।
मिली जानकारी के अनुसार, यह विरोध प्रदर्शन बांग्लादेश के डिप्टी हाई कमीशन के पास आयोजित किया गया था। वीएचपी कार्यकर्ता बांग्लादेश में हिंदुओं पर कथित अत्याचारों और दीपू चंद्र दास की मॉब लिंचिंग की घटना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पुलिस ने पहले से ही इलाके में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी और कई स्थानों पर बैरिकेडिंग कर रखी थी।
प्रदर्शन के दौरान बिगड़े हालात
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जैसे ही प्रदर्शनकारी निर्धारित सीमा से आगे बढ़ने लगे और बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की, पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। इसी दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच धक्का-मुक्की शुरू हो गई, जो देखते ही देखते झड़प में बदल गई। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि प्रदर्शन की अनुमति केवल सीमित क्षेत्र तक ही दी गई थी, लेकिन प्रदर्शनकारी तय मार्ग से आगे बढ़ने पर अड़े रहे।
स्थिति को नियंत्रण में रखने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। इस दौरान कई प्रदर्शनकारियों को चोटें आईं। मौके पर मौजूद पुलिस और स्वास्थ्य कर्मियों ने घायलों को प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराया, जबकि कुछ घायलों को आगे के इलाज के लिए अस्पताल भी भेजा गया।
पुलिस कार्रवाई पर वीएचपी का विरोध
दूसरी ओर, विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने पुलिस की कार्रवाई को अनुचित करार दिया है। संगठन का आरोप है कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और बिना किसी उकसावे के पुलिस ने बल प्रयोग किया। वीएचपी नेताओं का कहना है कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाना उनका लोकतांत्रिक अधिकार है और पुलिस ने उनकी मांगों को दबाने की कोशिश की।