कान फिल्म फेस्टिवल 2025 में होगा राजस्थान की पहली फिल्म 'ओमलो' शोकेस,लंदन में होगा वर्ल्ड प्रीमियर

Updated: 10 May, 2025 01:38 PM

rajasthan first film omlo will be showcased at cannes film festival 2025

इमोशनल और प्यारी फ़िल्म "ओमलो" का  प्रीमियर 13 मई 2025 को कान फिल्म फेस्टिवल में होने वाले फिल्म मार्केट में होने जा रहा है। यह फिल्म अगले एक साल तक दुनिया भर के फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित की जाएगी।

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। इमोशनल और प्यारी फ़िल्म "ओमलो" का  प्रीमियर 13 मई 2025 को कान फिल्म फेस्टिवल में होने वाले फिल्म मार्केट में होने जा रहा है। यह फिल्म अगले एक साल तक दुनिया भर के फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित की जाएगी। लेखक, निर्माता और निर्देशक सोनू रणदीप चौधरी की  फिल्म ओमलो की कहानी 7 साल के बच्चे ओमलो और एक ऊँट के जीवन शैली पर आधारित है। हरे कृष्णा पिक्चर्स के बैनर तले बनी इस सोशल ड्रामा फिल्म के प्रोड्यूसर  रोहित माखिजा,मनीष गोपलानी, नेहा पाण्डेय, सोनू रणदीप चौधरी हैं जबकि सह निर्माता अजय राठौर, अरविंद डागुर,यतिन राठौर हैं. शंभू महाजन ने ओमलो की मुख्य भूमिका निभाई है. सोनू रणदीप चौधरी ने सुभाष का रोल, सोनाली शर्मिष्ठा ने सावित्री का रोल, देवा शर्मा ने रामू का चरित्र, महेश जिलोवा ने मग्नाराम की भूमिका निभाई है।

कहानी इस बात पर गहराई के साथ प्रकाश डालती है कि कैसे एक व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों को भुलाकर, नशे में डूबा रहता है, जिससे उसका पूरा परिवार जानवरों की तरह डरा हुआ महसूस करता है। ओमलो, बचपन में अपने पिता द्वारा अनुभव किए गए डर और उथल-पुथल भरे जज्बात को दर्शाता है, खुद को उसी पीढ़ी दर पीढ़ी जुल्म और दर्द में उलझा हुआ पाता है। कहानी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक डर और दर्द के लगातार चक्र पर रोशनी डालती है, जिसका खामियाजा अक्सर महिलाओं को भुगतना पड़ता है। ओमलो की दादी को उम्मीद थी कि उसका बेटा उसके लिए एक शांतिपूर्ण जीवन लाएगा। हालाँकि, वह अपने पिता से भी बदतर साबित होता है, जो दुख के चक्र को जारी रखता है जिसका असर अब उसकी बहू और पोते पर पड़ता है। फिर भी, निराशा के बीच, आशा की एक किरण मौजूद है क्योंकि ओमलो की माँ चाहती है कि उसका बेटा इस चक्र को तोड़ दे और एक बेहतर इंसान बने. कहानी इस बारे में सवाल उठाती है कि क्या वास्तव में बदलाव संभव है?

श्री डूंगरगढ़, बीकानेर, राजस्थान मे फ़िल्माई गई इस फिल्म की कहानी, पटकथा और संवाद सोनू रणदीप चौधरी ने लिखे हैं. संगीतकार गाज़ी खान बरना, भुवन आहूजा, पृष्ठभूमि संगीत देवेंद्र भूमे और गीतकार सोनू रणदीप चौधरी हैं.
फिल्म के लेखक निर्देशक सोनू रणदीप चौधरी का कहना है जहाँ लोग, संस्कृति, जगह ने मेरी फ़िल्म मेकिंग शैली और कहानी कहने के तरीके पर एक अमिट छाप छोड़ी है। मेरी प्रेरणा का सार यह अहसास है कि जहाँ राजनीति और विश्व शांति जैसे वैश्विक मुद्दों पर अक्सर महत्वपूर्ण ध्यान दिया जाता है, वहीं घरेलू स्तर पर संघर्ष अक्सर अनदेखा रह जाता है।

बड़े होते हुए, मैंने यह महसूस किया, कि घरेलू हिंसा जैसे मुद्दे अक्सर अनकहे रह जाते हैं। जबकि वैश्विक रुझान और चर्चाएँ ट्विटर जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर हावी हैं, एक महिला की खामोश पीड़ा, कुचले हुए सपने और सब कुछ अनसुना रह जाता है। ओमलो ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने का एक ईमानदार प्रयास है. यह फिल्म प्रतिदिन की जिंदगी में सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालती है, तथा दर्शकों से अक्सर नजरअंदाज किए जाने वाले मुद्दों के महत्व को पहचानने की अपील करती है।

ओमलो सोनू रणदीप चौधरी की बतौर निर्देशक और लेखक पहली फिल्म है लेकिन कहानियों को चित्रित करने की उनमे रुचि बचपन से ही रही है। 15 साल से अधिक उन्होंने थिएटर में अपना समय बिताया, इस दौरान उन्होंने अपनी कला को निखारा। राजस्थान के एक छोटे से शहर के मूल निवासी, सोनू रणदीप चौधरी ने हमेशा ख्वाबों के शहर मुम्बई को अपनी मंजिल माना। अपने जुनून को कम उम्र में ही पहचानते हुए, उन्होंने खुद को इस कला में महारत हासिल करने के लिए समर्पित कर दिया। कैमरे के पीछे और सामने, फिल्म मेकिंग के हर पहलू से मोहित, उनका नजरिया सच्चाई के करीब और रॉ सिनेमा का प्रतीक है। फिल्म मेकिंग की बारीकियों को उन्होंने जीवन के अनुभव से सीखा है। अब वह बेहद उत्साहित हैं कि उनकी पहली फ़िल्म "ओमलो" का प्रीमियर कान फिल्म फेस्टिवल के साथ होने वाले  फिल्म मार्केट में होगा।

 

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