Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 22 May, 2025 08:18 PM

स्विट्जरलैंड के एक पहाड़ी गांव ब्लैटन में इन दिनों डर और सतर्कता का माहौल है। दक्षिणी लोटशेंटल घाटी में स्थित यह अल्पाइन गांव इन दिनों भूस्खलन के खतरे से जूझ रहा है। इसी वजह से स्थानीय प्रशासन ने न सिर्फ लोगों को बल्कि जानवरों को भी समय रहते...
इंटरनेशलन डेस्क: स्विट्जरलैंड के एक पहाड़ी गांव ब्लैटन में इन दिनों डर और सतर्कता का माहौल है। दक्षिणी लोटशेंटल घाटी में स्थित यह अल्पाइन गांव इन दिनों भूस्खलन के खतरे से जूझ रहा है। इसी वजह से स्थानीय प्रशासन ने न सिर्फ लोगों को बल्कि जानवरों को भी समय रहते सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का अभूतपूर्व कदम उठाया है। इस गांव से करीब 300 लोगों को खाली कराया गया साथ ही जानवरों को भी इस निकासी अभियान में पूरी एहमियत दी गई। हैरान कर देने वाली बात यह रही कि एक घायल गाय को हेलीकॉप्टर से उड़ाकर सुरक्षित स्थान पहुंचाया गया। इस गाय का नाम ‘लोनी’ बताया गया है, जिसे गंभीर रूप से घायल होने के चलते जमीन से नहीं निकाला जा सका था।
जानवरों की सूची में भेड़ और खरगोश भी
संकट केंद्र के प्रवक्ता जोनास जेटज़िनर ने जानकारी दी कि अब तक 190 भेड़, 26 गाय और लगभग 20 खरगोशों को सफलतापूर्वक गांव से बाहर निकाला गया है। इसमें ‘लोनी’ नामक वो घायल गाय भी शामिल है जिसे विशेष तौर पर हेलीकॉप्टर से बाहर ले जाया गया। ब्लैटन के मेयर मैथियास बेलवाल्ड ने एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि शनिवार से शुरू हुई निकासी के दौरान पूरे समुदाय ने एकजुटता दिखाई। ग्रामीणों ने प्रशासन का पूरा सहयोग किया और जानवरों को बचाने में भी पीछे नहीं हटे। उन्होंने कहा, "ऐसे संकट में हमारी एकजुटता ही सबसे बड़ी ताकत है।"
1.5 मिलियन क्यूबिक मीटर चट्टान गिरने का खतरा
इस इलाके के भूगर्भीय विशेषज्ञ एल्बन ब्रिगर ने बताया कि हालांकि अब तक बड़े भूस्खलन की घटना नहीं हुई है, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। पहाड़ पर जमा 15 लाख घन मीटर चट्टान कभी भी खिसक सकती है। कोहरा और मौसम की खराब स्थिति के कारण वास्तविक स्थिति का आकलन करना मुश्किल हो रहा है। सबसे बड़ी चिंता यह है कि गिरती चट्टान बर्फ के बड़े ढेर को भी नीचे ले आ सकती है, जिससे विनाश और भी बढ़ सकता है।
पहले भी हो चुका है ऐसा हादसा
यह पहली बार नहीं है जब स्विट्जरलैंड के किसी गांव को भूस्खलन से बचाने के लिए खाली कराया गया हो। साल 2023 में ब्रिएन्ज़ गांव को भी समय रहते खाली कराया गया था, जब एक विशाल चट्टान गिरने वाली थी। चट्टान बस्ती से कुछ ही दूरी पर रुक गई थी, लेकिन खतरा बना रहा और अगले साल फिर से गांव को खाली कराना पड़ा।