NASA की बड़ी चेतावनी: सूरज में बना 10 लाख KM का खतरनाक छेद, धरती पर आ सकता है बड़ा सौर तूफान

Edited By Updated: 02 Jun, 2025 01:25 PM

nasa s big warning a dangerous hole of 10 lakh km formed in the sun

NASA और NOAA की हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार सूरज में एक विशाल छेद बन गया है जिसे वैज्ञानिक "कोरोनल होल" कहते हैं। इसकी चौड़ाई 10 लाख किलोमीटर से भी ज्यादा है और इससे तेज रफ्तार सौर हवाएं निकल रही हैं।

नेशनल डेस्क: NASA और NOAA की हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार सूरज में एक विशाल छेद बन गया है जिसे वैज्ञानिक "कोरोनल होल" कहते हैं। इसकी चौड़ाई 10 लाख किलोमीटर से भी ज्यादा है और इससे तेज रफ्तार सौर हवाएं निकल रही हैं। ये हवाएं धरती के चुंबकीय क्षेत्र से टकराकर भू-चुंबकीय तूफान ला सकती हैं, जिससे संचार प्रणाली, सैटेलाइट, पावर ग्रिड और इंटरनेट सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।

क्या होता है कोरोनल होल?
कोरोनल होल यानी सूर्य के बाहरी वातावरण का वह हिस्सा जहां चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो जाता है। ऐसे स्थानों से सूरज की सतह से बहुत तेज रफ्तार (करीब 700 किमी/सेकंड) से सौर कण निकलते हैं। नासा की सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी ने इसकी पराबैंगनी (अल्ट्रावॉयलेट) तस्वीरें जारी की हैं। इनसे पता चलता है कि कोरोनल होल धरती की तरफ सौर हवाएं भेज रहा है।

23 मई को शुरू हुआ असर
23 मई को सूरज के उत्तरी हिस्से से एक चुंबकीय तंतु (filament) फट गया जिससे कोरोनल मास इजेक्शन (CME) हुआ। ये सौर विस्फोट धरती की ओर आया और G1 श्रेणी का भू-चुंबकीय तूफान पैदा हुआ। NOAA ने बताया कि इस तूफान से रेडियो सिग्नल बाधित हुए और सैटेलाइट संचालन में दिक्कतें आईं। 20 से 22 मई के बीच भी छोटे स्तर के G1 श्रेणी के सौर तूफान आए, जिनकी वजह भी इसी कोरोनल होल से निकल रही सौर हवा थी। इसका असर आकाश में दिखने वाले चमकीले Auroras के रूप में भी सामने आया, जो सामान्य से कम अक्षांश वाले इलाकों में दिखाई दिए।
वैज्ञानिकों के अनुसार, अभी सूर्य अपने सौर चक्र के "सौर अधिकतम" (Solar Maximum) की स्थिति में है। इस दौरान सूरज की सतह पर लगातार अधिक सौर ज्वालाएं और विस्फोट होते हैं। इस चक्र के चलते आगामी महीनों में और भी तीव्र CME और फ्लेयर्स देखने को मिल सकते हैं, जिनका प्रभाव सीधे धरती पर पड़ सकता है।

1 जून को आया बड़ा सौर विस्फोट
31 मई को सूर्य के सक्रिय क्षेत्र AR4100 से M8.2 श्रेणी का सोलर फ्लेयर और CME निकला, जो 1 जून को धरती से टकराया। इसकी गति 1,938 किलोमीटर/सेकंड रही। NASA की रिपोर्ट बताती है कि इस कारण G2 से G3 श्रेणी के सौर तूफान आने की आशंका है जिससे रेडियो संचार और बिजली ग्रिड पर खतरा बढ़ गया है। सौर तूफानों से रेडियो सिग्नल कमजोर हो सकते हैं, खासकर HF बैंड जो एयर ट्रैफिक और नेवीगेशन के लिए उपयोग होते हैं। 31 मई को प्रशांत महासागर के ऊपर इसका असर देखा गया। सैटेलाइट्स भी प्रभावित होते हैं क्योंकि वायुमंडल गर्म होकर उनका ऑर्बिट बदल सकता है जिससे उनकी ऊंचाई कम हो जाती है। 30 मई को अमेरिका के साउथ डकोटा और ओरेगन में खूबसूरत ऑरोरा देखे गए। 

क्या करना चाहिए आम लोगों को?
वैज्ञानिकों की सलाह है कि पावर ग्रिड कंपनियां और सैटेलाइट ऑपरेटर्स विशेष सतर्कता बरतें। इन तूफानों के कारण GPS, इंटरनेट, मोबाइल नेटवर्क और पावर सप्लाई में रुकावट आ सकती है। आम लोगों के लिए जरूरी है कि वे किसी भी संभावित ब्लैकआउट या संचार अवरोध के लिए तैयार रहें।

वैज्ञानिकों की लगातार निगरानी
NASA और NOAA की टीमें लगातार सूरज की गतिविधियों पर नज़र बनाए हुए हैं। सूर्य की सतह पर हर हलचल को रिकॉर्ड किया जा रहा है ताकि भविष्य में संभावित खतरों से पहले ही सचेत किया जा सके। आने वाले दिनों में और CME या फ्लेयर की संभावना है, ऐसे में सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव है।

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!