Edited By Shubham Anand,Updated: 29 Dec, 2025 02:33 PM
10 मिनट में डिलीवरी अब किसी जादू से कम नहीं रही। Zepto, Blinkit और Swiggy Instamart जैसी क्विक कॉमर्स कंपनियां डार्क स्टोर्स, डेटा एनालिसिस, AI और GPS तकनीक की मदद से यह संभव बना रही हैं। नजदीकी वेयरहाउस, रियल-टाइम स्टॉक मैनेजमेंट और स्मार्ट राइडर...
नेशनल डेस्क : कल्पना कीजिए कि आपने चाय बनाने के लिए गैस जलाई और तभी याद आया कि घर में चीनी खत्म हो गई है। ऐसे में मोबाइल ऐप खोला, ऑर्डर किया और महज 10 मिनट के भीतर चीनी आपके दरवाजे पर पहुंच गई। चाय के एक-दो उबाल में जरूरत का सामान घर आ जाना किसी जादू से कम नहीं लगता। लेकिन यही “जादू” अब Zepto, Blinkit, Swiggy Instamart और Flipkart Minutes जैसी क्विक कॉमर्स कंपनियां हकीकत में बदल चुकी हैं। खासतौर पर बड़े शहरों में रहने वाले लोग इन सेवाओं का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहे हैं।
हालांकि 10 मिनट में डिलीवरी के पीछे तेज रफ्तार बाइक या जोखिम भरी ड्राइविंग नहीं, बल्कि डेटा, टेक्नोलॉजी और बेहद सटीक प्लानिंग का एक पूरा इकोसिस्टम काम करता है। क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स ने न सिर्फ डिलीवरी सिस्टम को बदला है, बल्कि लोगों की खरीदारी की आदतों में भी बड़ा बदलाव ला दिया है। आइए जानते हैं कि आखिर 10 मिनट की डिलीवरी असल में कैसे संभव हो पाती है।
क्या है क्विक कॉमर्स और क्यों है इतना तेज?
क्विक कॉमर्स एक ऐसा बिजनेस मॉडल है, जिसमें रोजमर्रा के जरूरी सामान को बेहद कम समय में ग्राहक तक पहुंचाया जाता है। इस मॉडल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि जिस सामान की डिलीवरी होती है, उसका स्टोरेज पॉइंट यानी वेयरहाउस ग्राहक के घर से सिर्फ 1 से 2 किलोमीटर की दूरी पर होता है। इसमें बड़े ऑर्डर या लंबी दूरी की डिलीवरी पर फोकस नहीं किया जाता, बल्कि आसपास के इलाके से तुरंत सप्लाई दी जाती है। Zepto, Blinkit और Swiggy Instamart जैसे प्लेटफॉर्म इसी मॉडल के जरिए 10 से 15 मिनट की डिलीवरी संभव बना रहे हैं। यह सिस्टम खासतौर पर शहरी इलाकों की तात्कालिक जरूरतों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है, जहां स्पीड सबसे अहम फैक्टर होती है।
डार्क स्टोर्स: मोहल्ले के पास छुपे मिनी वेयरहाउस
10 मिनट की डिलीवरी की सबसे बड़ी रीढ़ डार्क स्टोर्स हैं। ये सामान्य किराना दुकान नहीं होते, बल्कि छोटे-छोटे वेयरहाउस होते हैं, जिन्हें घनी आबादी वाले इलाकों के बेहद पास स्थापित किया जाता है। कई बार ये बेसमेंट, गलियों या खाली कमर्शियल स्पेस में बनाए जाते हैं। यहां आम ग्राहक जाकर खरीदारी नहीं कर सकता, बल्कि सिर्फ ऐप के जरिए ऑर्डर पूरा किया जाता है। चूंकि ये स्टोर घरों से 1–2 किलोमीटर के दायरे में होते हैं, इसलिए डिलीवरी का समय अपने आप काफी कम हो जाता है।
डेटा तय करता है स्टॉक और सप्लाई
डार्क स्टोर में कौन सा सामान रखा जाएगा, इसका फैसला किसी अनुमान के आधार पर नहीं होता। कंपनियां लगातार डेटा एनालिसिस करती हैं कि किस इलाके में किस समय कौन सा प्रोडक्ट ज्यादा बिकता है। अगर किसी कॉलोनी में रात के समय आइसक्रीम, स्नैक्स या कोल्ड ड्रिंक्स की मांग ज्यादा है, तो उसी हिसाब से स्टॉक बढ़ा दिया जाता है। इसका फायदा यह होता है कि ग्राहक के ऑर्डर करने से पहले ही जरूरी सामान पास के स्टोर में मौजूद रहता है। यही डेटा-ड्रिवन प्लानिंग डिलीवरी को बेहद तेज बनाती है।
ऑर्डर से पहले ही शुरू हो जाती है तैयारी
क्विक कॉमर्स में समय बचाने के लिए हर सेकंड की कीमत होती है। जैसे ही कोई यूजर ऐप पर किसी प्रोडक्ट को सर्च करता है, सिस्टम एक्टिव हो जाता है। सर्वर तुरंत यह जांच करता है कि सबसे नजदीकी डार्क स्टोर में स्टॉक उपलब्ध है या नहीं और किस कर्मचारी को पैकिंग की जिम्मेदारी दी जाएगी। कई मामलों में पेमेंट कन्फर्म होने से पहले ही पैकिंग की तैयारी शुरू हो जाती है। स्टोर के अंदर प्रोडक्ट्स को इस तरह व्यवस्थित किया जाता है कि पैकर को कम से कम चलना पड़े और सामान ढूंढने में समय न लगे। आमतौर पर पूरा ऑर्डर 60 से 90 सेकंड के भीतर पैक हो जाता है।
राइडर, GPS और AI का रियल-टाइम तालमेल
स्टोर के बाहर डिलीवरी राइडर पहले से ही तैयार रहते हैं। GPS और AI आधारित सॉफ्टवेयर यह तय करता है कि कौन सा राइडर सबसे नजदीक है और किस रास्ते पर ट्रैफिक सबसे कम है। सिस्टम के पास शहर की गलियों, मोड़ों और ट्रैफिक पैटर्न की रियल-टाइम जानकारी होती है। इसी वजह से राइडर बिना तेज रफ्तार या जोखिम उठाए तय समय में ग्राहक के दरवाजे तक पहुंच पाता है। हर मिनट का कैलकुलेशन तकनीक के जरिए किया जाता है।
10 मिनट की डिलीवरी ने कैसे बदली खरीदारी की सोच
इंस्टेंट डिलीवरी मॉडल ने उपभोक्ताओं की खरीदारी की आदतों में बड़ा बदलाव किया है। अब लोग महीने भर का राशन एक साथ खरीदने के बजाय जरूरत पड़ने पर बार-बार छोटे ऑर्डर करना ज्यादा पसंद करते हैं। वजह साफ है भरोसा कि सामान कुछ ही मिनटों में घर पहुंच जाएगा। इससे फ्रीक्वेंट बाइंग बढ़ी है, जिसका सीधा फायदा क्विक कॉमर्स कंपनियों को मिल रहा है। हालांकि सुविधा बढ़ने के साथ-साथ लोगों की पहले से प्लानिंग करने की आदत कुछ हद तक कम भी हो रही है, जो इस मॉडल का एक सामाजिक असर माना जा रहा है।
क्विक कॉमर्स का भविष्य
Zepto, Blinkit, Swiggy Instamart और Dunzo जैसे प्लेटफॉर्म लगातार अपने डार्क स्टोर नेटवर्क, डेटा सिस्टम और टेक्नोलॉजी को और मजबूत कर रहे हैं। आने वाले समय में डिलीवरी और भी तेज, ज्यादा पर्सनलाइज्ड और पूरी तरह डेटा-ड्रिवन होने की उम्मीद है। 10 मिनट की डिलीवरी अब सिर्फ एक सुविधा नहीं, बल्कि शहरी लाइफस्टाइल का अहम हिस्सा बनती जा रही है। टेक्नोलॉजी, डेटा एनालिसिस और लोकल मौजूदगी का यही मजबूत कॉम्बिनेशन क्विक कॉमर्स को लगातार आगे बढ़ा रहा है।