बांग्लादेश में खतरनाक दौर शुरू ! यूनुस सरकार ने कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेके, स्कूलों से हटाए म्यूजिक टीचरों के पद

Edited By Updated: 04 Nov, 2025 07:03 PM

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बांग्लादेश की अंतरिम यूनुस सरकार ने कट्टरपंथियों के दबाव में संगीत और शारीरिक शिक्षा शिक्षकों की भर्ती रद्द कर दी है। इस्लामी संगठनों ने इन पदों को “जबरन और अप्रासंगिक” बताते हुए चेतावनी दी थी कि वे सड़कों पर उतरेंगे। यह फैसला बांग्लादेश को धार्मिक...

Dhaka:बांग्लादेश में संगीत शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर उठे विवाद ने बड़ा रूप ले लिया है। प्रधानमंत्री मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने सोमवार को सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में म्यूजिक और फिजिकल एजुकेशन टीचरों की भर्ती रद्द करने की घोषणा की। सरकार ने इस फैसले को “नियमों में संशोधन” का परिणाम बताया, लेकिन यह कदम स्पष्ट रूप से कट्टरपंथी इस्लामिक समूहों के दबाव में लिया गया माना जा रहा है।

 

कट्टरपंथियों का विरोध और सरकार का यू-टर्न
जैसे ही अगस्त में इन पदों की वैकेंसी निकली, जमात-ए-इस्लामी, इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश, खिलाफत मजलिस और अन्य इस्लामी संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना था कि स्कूलों में सिर्फ धार्मिक शिक्षक नियुक्त किए जाएं। इन संगठनों ने चेतावनी दी थी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे सड़क पर उतरने को मजबूर होंगे।
 

"आप बच्चों को चरित्रहीन बनाना चाहते हैं?"
इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश के नेता सैयद रेजाउल करीम ने कहा,“जब हम बचपन में धार्मिक अध्ययन करते थे, तब हिंदू और मुसलमानों के लिए अलग-अलग शिक्षक होते थे। लेकिन अब आप संगीत शिक्षक नियुक्त करना चाहते हैं? वे क्या सिखाएंगे? आप हमारे बच्चों को अपमानजनक, उद्दंड और चरित्रहीन बनाना चाहते हैं? हम इसे कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे।”

 

शिक्षा मंत्रालय का बयान
शिक्षा मंत्रालय के अधिकारी मसूद अख्तर खान ने बताया कि संशोधित नियमों में अब संगीत और शारीरिक शिक्षा के सहायक शिक्षक शामिल नहीं हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या यह कदम मजहबी दबाव का नतीजा है, तो उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

 

तालिबानी रास्ते पर बांग्लादेश?
विश्लेषकों के मुताबिक, यूनुस प्रशासन का यह फैसला अफगानिस्तान में संगीत शिक्षा पर तालिबान की पाबंदी की याद दिलाता है। यह कदम बांग्लादेश को धीरे-धीरे धार्मिक कट्टरता के उसी रास्ते पर ले जाता दिख रहा है। शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद इस्लामी संगठनों के हौसले बढ़े हैं और यूनुस सरकार की नीतियां उनकी मांगों के आगे झुकने का संकेत दे रही हैं।  अब इन संगठनों की नई मांग है कि बांग्लादेश में इस्कॉन (ISKCON) पर प्रतिबंध लगाया जाए। उनका आरोप है कि यह संगठन “इस्लाम विरोधी एजेंडा” चला रहा है। 

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