कोहिनूर हीरे को लेकर बड़ा खुलासा, इंग्लैंड तक पहुंचने का असल सच आया सामने

Edited By Tanuja,Updated: 16 Oct, 2018 03:01 PM

kohinoor diamond was not  gifted  but surrendered to british asi

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने एक RTI के जवाब में दुनियाभर में मशहूर कोहिनूर हीरे को लेकर बड़ा खुलासा किया है। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुसार कोहिनूर  न तो ईस्ट इंडिया कंपनी को तोहफे में दिया गया था और न ही चोरी हुआ था...

इंटरनेशनल डैस्क: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने एक RTI के जवाब में दुनियाभर में मशहूर कोहिनूर हीरे को लेकर बड़ा खुलासा किया है। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुसार कोहिनूर  न तो ईस्ट इंडिया कंपनी को तोहफे में दिया गया था और न ही चोरी हुआ था। बल्कि लाहौर के महाराजा दलीप सिंह को हीरा दबाव में इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया के सामने सरेंडर करना पड़ा था।  
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एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, एएसआई ने जवाब के लिए लाहौर संधि का जिक्र किया। इसमें बताया गया कि 1849 में ईस्ट इंडिया कंपनी के लॉर्ड डलहौजी और महाराजा दलीप सिंह के बीच संधि हुई थी। इसमें महाराजा से कोहिनूर सरेंडर करने के लिए कहा गया था।  ASI ने साफ किया है कि संधि के दौरान दलीप सिंह (जो कि उस वक्त सिर्फ नौ साल के थे) ने अपनी मर्जी से महारानी को हीरा भेंट नहीं किया था, बल्कि उनसे कोहिनूर जबरन लिया गया था। 
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2016 में भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि कोहिनूर हीरा न तो अंग्रेजों ने जबरदस्ती लिया था और न ही यह चोरी हुआ था। सरकार ने कहा था कि पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह के उत्तराधिकारी ने एंग्लो-सिख युद्ध के खर्च के बदले 'स्वैच्छिक मुआवजे' के रूप में अंग्रेजों को कोहिनूर भेंट किया था। कोहिनूर पर जानकारी के लिए कार्यकर्ता रोहित सभरवाल ने आरटीआई डाली थी। उन्होंने इसका जवाब प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से मांगा था।
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RTI में पूछा था कि आखिर किस आधार पर कोहिनूर ब्रिटेन को दिया गया। पीएमओ ने उनकी अपील भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भेज दी। आरटीआई एक्ट के मुताबिक, एक लोक प्राधिकरण जानकारी के लिए आरटीआई को दूसरे प्राधिकरण के पास ट्रांसफर कर सकता है।

 

 

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