जिदंगी की भीख मांग रही महिलाएं, कोई अनजान पुरुष नहीं छू सकता... इस देश में आंखों के सामने हो रही औरतों की मौत

Edited By Updated: 05 Sep, 2025 09:32 PM

women are dying in front of our eyes in this country

अफगानिस्तान में हाल ही में आए विनाशकारी भूकंप के बाद, राहत और बचाव कार्यों में एक चौंकाने वाला और दुखद पहलू सामने आया है। यहां मलबे में फंसी महिलाएं जान बचाने की गुहार लगा रही हैं, लेकिन सदियों पुरानी रूढ़िवादी परंपराओं के कारण उन्हें बचाया नहीं जा...

नेशनल डेस्क: अफगानिस्तान में हाल ही में आए विनाशकारी भूकंप के बाद, राहत और बचाव कार्यों में एक चौंकाने वाला और दुखद पहलू सामने आया है। यहां मलबे में फंसी महिलाएं जान बचाने की गुहार लगा रही हैं, लेकिन सदियों पुरानी रूढ़िवादी परंपराओं के कारण उन्हें बचाया नहीं जा रहा है। एक अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार कोई भी अनजान पुरुष किसी महिला की त्वचा को नहीं छू सकता, जिसके चलते ये महिलाएं मौत के मुंह में जा रही हैं।

मदद के लिए कोई नहीं आया

कुनार प्रांत के आंदरलुकाक गांव में, बीबी आयशा 36 घंटों तक भूकंप के मलबे में फंसी रहीं। उन्होंने राहत दल को देखकर हाथ हिलाकर मदद मांगी, लेकिन कोई भी पुरुष बचावकर्मी उनकी मदद के लिए आगे नहीं बढ़ा। राहत और बचाव दल में महिलाओं की संख्या बहुत कम है, और इसी रूढ़िवादी व्यवस्था के कारण पुरुष बचावकर्मी मलबे में फंसी महिलाओं को हाथ नहीं लगा पा रहे हैं। आँखों के सामने ही कई महिलाएं मरती जा रही हैं।

बच्चों पर भी नहीं पसीजा दिल

एक घर के मलबे में दबे परिवार को बचाने के लिए जब बचाव दल पहुंचा, तो उन्होंने पुरुषों और लड़कों को तो बाहर निकाल लिया, लेकिन 19 साल की आयशा और अन्य महिलाओं को उनके हाल पर छोड़ दिया। खून से लथपथ होने के बावजूद, इन महिलाओं को निकालने की कोई कोशिश नहीं की गई।

मरी हुई महिलाओं को भी कपड़े से खींचकर निकाल रहे

रिपोर्ट के अनुसार बचाव दल मलबे में मर चुकी महिलाओं को भी उनके कपड़े से खींचकर बाहर निकाल रहे हैं, ताकि गलती से भी उनकी त्वचा को न छूना पड़े। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब कोई रिश्तेदार मौजूद नहीं होता, तो मरे हुए लोगों को भी इस तरह से निकाला जा रहा है।

इलाज में भी भेदभाव

कुनार प्रांत में पीड़ितों की मदद कर रहे एक व्यक्ति, ताहजेबुल्ला मुहाजेब ने बताया कि अस्पताल में भी घायल महिलाओं के साथ भेदभाव हो रहा है। पुरुषों और लड़कों को इलाज में प्राथमिकता दी जा रही है। महिला मेडिकल स्टाफ की कमी के कारण गंभीर रूप से घायल महिलाओं को समय पर इलाज मिलना मुश्किल हो रहा है। यह रिपोर्ट बताती है कि किस तरह रूढ़िवादी परंपराएं मानवीयता से ऊपर हो गई हैं, जिसके चलते आपदा के समय भी महिलाओं को उनकी हालत पर छोड़ दिया गया है।

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