Edited By Harman Kaur,Updated: 05 Jul, 2025 03:25 PM

मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। हाल ही में मंत्री संपतिया उइके पर 1,000 करोड़ रुपए की घूसखोरी के आरोप लगे थे, वहीं अब शहडोल जिले से एक और हैरान करने वाला मामला सामने आया है। ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम सकंदी...
नेशनल डेस्क: मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। हाल ही में मंत्री संपतिया उइके पर 1,000 करोड़ रुपए की घूसखोरी के आरोप लगे थे, वहीं अब शहडोल जिले से एक और हैरान करने वाला मामला सामने आया है। ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम सकंदी स्थित शासकीय हाई स्कूल में मरम्मत कार्य के नाम पर चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है।

चार लीटर पेंट, 168 मजदूर!
इस सरकारी स्कूल में केवल चार लीटर ऑयल पेंट की पुताई के लिए दस्तावेजों में 168 मजदूर और 65 राजमिस्त्री दिखाए गए हैं। इस "काम" के लिए ₹1,06,984 की पेमेंट कर दी गई, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
बिल में तारीखों का बड़ा झोल
बिल सुधाकर कंस्ट्रक्शन नामक एजेंसी ने 5 मई 2025 को जारी किया, लेकिन स्कूल के प्राचार्य ने उसी बिल को एक महीने पहले यानी 4 अप्रैल 2025 को ही सत्यापित कर दिया। यह विसंगति पूरे बिल की वैधता पर सवाल खड़े कर रही है।
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फोटो नहीं, फिर भी पास हुआ भुगतान
सरकारी नियमों के तहत किसी भी अनुरक्षण कार्य में "पहले और बाद" की तस्वीरें संलग्न करना अनिवार्य होता है। लेकिन इस मामले में न कोई फोटो, न कार्य का विवरण, फिर भी ट्रेजरी ऑफिसर ने भुगतान पास कर दिया।

प्रशासन की सफाई
जब मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी फूल सिंह मरपाची से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी सोशल मीडिया से मिली है। "मैं जांच करवाकर आवश्यक कार्रवाई कराऊंगा," उन्होंने कहा। यह मामला ना केवल सरकारी संसाधनों की बर्बादी को उजागर करता है, बल्कि जवाबदेही की कमी और प्रशासनिक लापरवाही को भी दिखाता है।