8th Pay Commission: आठवां वेतन आयोग को लेकर क्यों हो रही है देरी? जानिए कब मिलेगी लाखों सरकारी कर्मचारियों को राहत

Edited By Updated: 03 Sep, 2025 11:34 AM

8th pay commission delay raises concern among govt employees

आठवें वेतन आयोग के गठन का ऐलान इस साल हुआ था, लेकिन अब तक इसमें खास प्रगति नहीं हुई है। देरी की वजह से सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारकों में असंतोष बढ़ रहा है। नेशनल काउंसिल (स्टाफ साइड) ने भी कैबिनेट सेक्रेटरी को पत्र लिखा है। टीओआर (Term of...

नेशनल डेस्क: सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारियों के लिए एक बड़ी उम्मीद होती है वेतन आयोग। हर पाँच साल में बनने वाला यह आयोग सरकारी कर्मचारियों के वेतन भत्तों और पेंशन में बढ़ोतरी का प्रस्ताव लेकर आता है। इस साल की शुरुआत में आठवें वेतन आयोग के गठन का औपचारिक ऐलान हुआ था। लेकिन उसके बाद से इस दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हुई है। लाखों कर्मचारियों के बीच इस देरी ने निराशा और चिंता पैदा कर दी है।

आठवें वेतन आयोग में देरी के पीछे क्या कारण?

आठवें वेतन आयोग के गठन में जो सबसे बड़ी बाधा आ रही है वह है टर्म ऑफ रेफरेंस यानी टीओआर (TOR) तय करने में देरी। यह टर्म ऑफ रेफरेंस वह दिशा-निर्देश होते हैं जिनके आधार पर आयोग अपनी रिपोर्ट बनाता है। नेशनल काउंसिल (स्टाफ साइड) ज्वाइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (NC JCM) की तरफ से कैबिनेट सेक्रेटरी को लिखे गए पत्र में इस देरी और अनिश्चितता का जिक्र किया गया है। एनसी-जेसीएम के स्टाफ साइड सेक्रेटरी शिव गोपाल मिश्रा ने एक इंटरव्यू में बताया कि वेतन आयोग बनने में इस देरी से सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में गुस्सा और असमंजस बढ़ गया है।

कर्मचारियों का गुस्सा और उम्मीदें

शिव गोपाल मिश्रा का कहना है कि जैसे ही टर्म ऑफ रेफरेंस तय हो जाएगा और वेतन आयोग गठित होगा तब सरकारी कर्मचारी यह जान पाएंगे कि इस बार वेतन और भत्तों में क्या बदलाव होंगे। उन्होंने यह भी बताया कि टीओआर तय होने के बाद ही वे सरकार के पास जाकर न्यूनतम वेतन, फिटमेंट फैक्टर और भत्तों की बढ़ोतरी पर चर्चा करेंगे। उनका मानना है कि पिछली बार के वेतन आयोग और इस बार के बीच ज्यादा बड़ा अंतर नहीं होगा। लेकिन टर्म ऑफ रेफरेंस तय होना बेहद जरूरी है क्योंकि इसके बिना आयोग काम नहीं कर सकता।

वेतन आयोग के महत्व को समझना जरूरी

वेतन आयोग हर सरकारी कर्मचारी और पेंशनधारी के लिए आर्थिक जीवन में बदलाव लेकर आता है। इसके निर्णय से कर्मचारियों के वेतन, भत्ते, पेंशन, और अन्य सुविधाओं का निर्धारण होता है। इसलिए इसका गठन समय पर होना आवश्यक है। वेतन आयोग के निर्णय का असर लाखों परिवारों की आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। इसलिए देरी न केवल आर्थिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी कर्मचारियों को प्रभावित करती है।

वित्त मंत्रालय की भूमिका और संसद में बयान

फिलहाल वित्त मंत्रालय ने संसद में यह बयान दिया है कि वेतन आयोग के गठन और टर्म ऑफ रेफरेंस को लेकर काम चल रहा है। हालांकि अभी तक कोई अंतिम निर्णय सामने नहीं आया है। सरकार पर दबाव भी बढ़ रहा है क्योंकि कर्मचारी वर्ग जल्दी ही इस मुद्दे पर ठोस जवाब चाहता है।

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