अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार, 19 ठिकानों पर की थी रेड

Edited By Updated: 18 Nov, 2025 10:52 PM

al falah university founder arrested in money laundering case

लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए भीषण ब्लास्ट- जिसमें 15 लोगों की मौत हुई- की जांच अब बड़े मोड़ पर पहुंच गई है। एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने मंगलवार को अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जवाद अहमद सिद्दीकी को टेरर फाइनेंसिंग से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस...

नेशनल डेस्क: दिल्ली में हाल ही में हुए आतंकी धमाके के बाद जांच का दायरा लगातार बढ़ रहा है। इसी बीच प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार (18 नवंबर 2025) को अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर मेंबर जवाद अहमद सिद्दीकी को मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) केस में दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। धमाके के आरोपियों का कनेक्शन इस यूनिवर्सिटी से मिलने के बाद से संस्थान पहले ही जांच के घेरे में था।

19 ठिकानों पर ED की एक साथ छापेमारी, 48 लाख कैश बरामद

गिरफ्तारी के साथ ही ED ने अल फलाह ग्रुप से जुड़े 19 अलग-अलग ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की। इस दौरान अधिकारियों ने

  • कई महत्वपूर्ण दस्तावेज,
  • डिजिटल डिवाइस, और
  • लगभग 48 लाख रुपये कैश बरामद किए।

जांच में यह भी सामने आया कि ट्रस्ट के फंड को गलत तरीके से परिवार की कंपनियों में ट्रांसफर किया जा रहा था।

ED की जांच में यूनिवर्सिटी के कई दावे झूठे निकले

ED की कार्रवाई दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की दो FIR पर आधारित है। FIR में आरोप है कि फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी ने छात्रों और अभिभावकों को गुमराह करने के लिए कई फर्जी दावे किए।

  • यूनिवर्सिटी ने NAAC की मान्यता होने का दावा किया, जबकि यह झूठ निकला।
  • उसने खुद को UGC Act की धारा 12(B) के तहत रजिस्टर्ड बताया, लेकिन UGC ने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय ने कभी आवेदन तक नहीं किया और यह केवल धारा 2(f) के तहत मान्यता प्राप्त है।

इन झूठे दावों का इस्तेमाल कर छात्रों से आर्थिक फायदा उठाया गया।

शेल कंपनियों के ज़रिए पैसा घुमाया गया

ED की प्राथमिक जांच में सामने आया कि:

  • अल-फलह चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना 1995 में हुई और शुरू से इसका पूरा नियंत्रण जवाद सिद्दीकी के पास था।
  • कंस्ट्रक्शन, कैटरिंग और अन्य सेवाओं के कॉन्ट्रैक्ट सीधे उनकी पत्नी और बच्चों की कंपनियों को दिए गए।
  • कई शेल कंपनियों का निर्माण किया गया ताकि ट्रस्ट का पैसा घुमाकर निजी कंपनियों में स्थानांतरित किया जा सके।
  • ग्रुप ने वित्तीय रूप से तेजी से बढ़ोतरी दिखाई, लेकिन यह बढ़ोतरी असली आय से मेल नहीं खाती थी।

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