Edited By Pardeep,Updated: 23 Dec, 2025 03:33 AM

देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग अब खुलकर अपनी आवाज़ उठा रहे हैं। बढ़ते खनन और जंगलों की कटाई को लेकर जनता में गुस्सा लगातार बढ़ रहा है। लोगों का कहना है कि अगर आज प्रकृति को नहीं बचाया गया, तो आने वाली पीढ़ियों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा।
नेशनल डेस्कः देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग अब खुलकर अपनी आवाज़ उठा रहे हैं। बढ़ते खनन और जंगलों की कटाई को लेकर जनता में गुस्सा लगातार बढ़ रहा है। लोगों का कहना है कि अगर आज प्रकृति को नहीं बचाया गया, तो आने वाली पीढ़ियों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा।
गाने के जरिए अरावली और हसदेव को बचाने की मांग तेज
अरावली पहाड़ियां और छत्तीसगढ़ का हसदेव अरण्य देश के सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक क्षेत्रों में गिने जाते हैं। अरावली दिल्ली-एनसीआर को रेगिस्तान बनने से बचाती है, जबकि हसदेव अरण्य जैव विविधता और आदिवासी समुदायों का घर है। इन इलाकों में हो रहे खनन और औद्योगिक गतिविधियों को लेकर पर्यावरणविद् और स्थानीय लोग सड़कों पर उतर आए हैं। वहीं सोशल मीडिया में भी कई तरह के गानों के जरिए इस मुद्दे पर सरकार को घेरने और पहाड़ों को बचाने वाले वीडियो सामने आ रहे हैं।
विकास या विनाश? बड़ा सवाल
लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या विकास के नाम पर जंगलों को उजाड़ना और पहाड़ों को खोखला करना सही है। उनका कहना है कि ऐसा विकास, जो पर्यावरण को तबाह कर दे, असल में विनाश के बराबर है।
खनन के खिलाफ एकजुट हुआ देश
देशभर में सामाजिक संगठन, पर्यावरण कार्यकर्ता, छात्र और आम नागरिक खनन के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं। विरोध प्रदर्शन, सोशल मीडिया अभियान और जनसभाओं के जरिए सरकार से मांग की जा रही है कि प्राकृतिक धरोहरों की रक्षा की जाए और पर्यावरण संतुलन को प्राथमिकता दी जाए।
आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की लड़ाई
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह सिर्फ जंगल या पहाड़ बचाने की लड़ाई नहीं है, बल्कि पानी, हवा, जलवायु और इंसानी जीवन को सुरक्षित रखने की जंग है। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो इसका असर पूरे देश को भुगतना पड़ेगा।