पूर्वोत्तर में कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, Left के साथ गठबंधन भी नहीं आया काम

Edited By Updated: 02 Mar, 2023 07:13 PM

big blow to congress in northeast even alliance with left did not work

मुश्किल दौर से गुजर रही कांग्रेस की हार का सिलिसला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब उसे पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में निराशा मिली है, हालांकि कुछ जगहों के उपचुनावों में जीत उसको थोड़ा सुकून देने वाली है

नई दिल्लीः मुश्किल दौर से गुजर रही कांग्रेस की हार का सिलिसला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब उसे पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में निराशा मिली है, हालांकि कुछ जगहों के उपचुनावों में जीत उसको थोड़ा सुकून देने वाली है। देश की मुख्य विपक्षी दल को त्रिपुरा में वाम दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का प्रयोग भी विफल रहा। उसने ऐसा ही प्रयोग वर्ष 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी किया था जहां उसका खाता भी नहीं खुल पाया था। पूर्वोत्तर में कांग्रेस को चुनावी सफलता की उम्मीदों को उस समय झटका लगा है जब कुछ सप्ताह पहले ही कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा' पूरी हुई और कुछ दिनों पहले उसका 85वां महाधिवेशन आयोजित हुआ था। त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को तीन सीटें मिलीं जहां वह 13 सीटों पर चुनाव लड़ी थी।

मेघालय में कांग्रेस को सिर्फ पांच सीटें हासिल हुईं जहां पिछले विधानसभा चुनाव में उसे 21 सीटें मिली थीं। मेघालय विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले उसके अधिकतर विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे। नगालैंड में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली। कांग्रेस के नजरिये से राहत वाली बात यह रही कि उसने महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में तीन विधानसभा सीटों के उपचुनाव में जीत हासिल की। उसने महाराष्ट्र में कस्बा विधानसभा क्षेत्र में जीत हासिल की, जो भारतीय जनता पार्टी का अभेद किला माना जाता था। इसी तरह उसने पश्चिम बंगाल में सागरदिघी विधानसभा क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस को मात दी।

इन चुनावी नतीजों के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘‘आज के नतीजे उत्साहजनक भी है और निराशाजनक भी। पश्चिम बंगाल के उपचुनाव में हम जीते हैं और राज्य विधानसभा में हमारा पहला विधायक होगा। महाराष्ट्र में 30 साल के बाद आरएसएस भाजपा के गढ़ (कस्बा) में कांग्रेस जीती है। तमिलनाडु में हमें बड़े अंतर से जीत मिली है।'' उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हम नतीजों को स्वीकारते हैं और हमें संगठन को मजबूत करना है। '' त्रिपुरा में वाम दलों के साथ गठबंधन की विफलता बारे में पूछे जाने पर रमेश ने कहा, ‘‘त्रिपुरा में बहुत बातचीत के बाद गठबंधन किया गया था और लोग मानकर चल रहे थे कि इस गठबंधन को बहुमत मिलेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। ऐसा क्यों नहीं हुआ, हमें देखना होगा।''

मौजूदा समय में कांग्रेस की राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में अपने बूते सरकार है तो झारखंड में वह झारखंड मुक्ति मोर्चा के कनिष्ठ सहयोगी के रूप में सत्ता की भागीदार है। तमिलनाडु में भी वह सत्तारूढ़ द्रमुक की कनिष्ठ सहयोगी की भूमिका में है। बिहार में ‘महागठबंधन' सरकार का भी वह हिस्सा है। कांग्रेस को लंबे समय बाद पिछले साल दिसंबर में हिमाचल प्रदेश में जीत मिली थी, हालांकि उसी समय गुजरात में उसका प्रदर्शन बहुत निराशाजनक रहा था। पिछले साल पंजाब विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी ने इस महत्वपूर्ण राज्य की सत्ता को गंवा दिया। उसी समय कांग्रेस को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के विधानसभा चुनावों में भी निराशा हाथ लगी थी।

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