Edited By Radhika,Updated: 05 Aug, 2025 04:24 PM

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का उद्देश्य हर गरीब को मुफ्त इलाज मुहैया कराना है। हाल के आंकड़े इस योजना के भविष्य पर सवाल खड़े कर रहे हैं। 2024-25 में इस योजना से जुड़ने वाले नए निजी अस्पतालों...
नेशनल डेस्क: भारत सरकार की महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का उद्देश्य हर गरीब को मुफ्त इलाज मुहैया कराना है। हाल के आंकड़े इस योजना के भविष्य पर सवाल खड़े कर रहे हैं। 2024-25 में इस योजना से जुड़ने वाले नए निजी अस्पतालों की संख्या में भारी गिरावट आई है जो एक चिंता का विषय है।
नए अस्पतालों का जुड़ाव घटा
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री प्रतापराव जाधव द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार 2024-25 में सिर्फ 2,113 नए अस्पताल इस योजना से जुड़े हैं, जबकि पिछले साल (2023-24) यह संख्या 4,271 थी। इससे साफ पता चलता है कि निजी अस्पतालों का रुझान इस योजना में कम हो रहा है। देश में कुल 31,466 अस्पताल इस योजना से जुड़े हैं, जिनमें से 14,194 निजी हैं।
निजी अस्पताल क्यों हो रहे हैं दूर?
विशेषज्ञों और निजी अस्पतालों के संगठनों का कहना है कि इसके पीछे दो मुख्य कारण हैं:
- भुगतान में देरी: नियम के मुताबिक अस्पतालों को मरीजों के इलाज का भुगतान 15 से 30 दिनों के भीतर मिल जाना चाहिए। लेकिन अक्सर ऐसा नहीं होता है, खासकर बड़े और महंगे इलाज के मामलों में।
- कम पैकेज रेट: कई निजी अस्पतालों का कहना है कि इस योजना के तहत मिलने वाला पैसा इलाज की वास्तविक लागत से कम होता है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
योजना की चुनौतियां
इस योजना को सफल बनाए रखने के लिए सरकार के सामने दोहरी चुनौती है। उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि योजना आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनी रहे, जबकि साथ ही निजी अस्पतालों को भी उचित लाभ मिले। यह संतुलन बनाना जरूरी है तभी यह योजना लंबे समय तक चल पाएगी और 'यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज' का सपना साकार हो सकेगा। इस योजना में अभी 1,961 प्रकार के इलाज शामिल हैं, जो 27 अलग-अलग स्पेशलिटी से जुड़े हैं।