गोलियों की तड़तड़ाहट से दहल गया था यह शहर! दिनदहाड़े शूटर्स ने दौड़ा- दौड़ाकर विधायक को मारीं थी 19 गोलियां

Edited By Updated: 31 Dec, 2025 10:46 AM

bullets shook allahabad the full story of the raju pal murder case

उत्तर प्रदेश की सियासत और अपराध की दुनिया में राजू पाल हत्याकांड एक ऐसा मोड़ था जिसने बाहुबली अतीक अहमद के पतन की पटकथा लिखनी शुरू कर दी थी। 19 गोलियां, 5 किलोमीटर लंबा पीछा और सरेआम कत्ल यह किसी फिल्म का सीन नहीं बल्कि प्रयागराज (तब इलाहाबाद) की...

नेशनल डेस्क। उत्तर प्रदेश की सियासत और अपराध की दुनिया में राजू पाल हत्याकांड एक ऐसा मोड़ था जिसने बाहुबली अतीक अहमद के पतन की पटकथा लिखनी शुरू कर दी थी। 19 गोलियां, 5 किलोमीटर लंबा पीछा और सरेआम कत्ल यह किसी फिल्म का सीन नहीं बल्कि प्रयागराज (तब इलाहाबाद) की सड़कों पर हुआ खूनी खेल था।

वो खूनी दोपहर: विधायक की गाड़ी पर अंधाधुंध फायरिंग

25 जनवरी 2005 की दोपहर करीब 1 बजे बसपा विधायक राजू पाल अपने काफिले के साथ SRN मेडिकल कॉलेज से निकले थे। वे खुद अपनी क्वालिस गाड़ी चला रहे थे। जीटी रोड पर अचानक एक स्कॉर्पियो ने उनकी गाड़ी को ओवरटेक किया और देखते ही देखते गोलियों की बौछार शुरू हो गई। हमलावरों ने राजू पाल को गाड़ी से निकलकर भागने तक का मौका नहीं दिया। जब वे जान बचाने के लिए सड़क पर दौड़े तो शूटरों ने मुड़कर दोबारा उन पर फायरिंग की। अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनके शरीर से 19 गोलियां बरामद हुईं जो इस हत्याकांड की क्रूरता को दर्शाती हैं।

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दोस्ती से दुश्मनी तक: अतीक और राजू पाल का सफर

राजू पाल कभी अतीक अहमद का बेहद खास गुर्गा हुआ करता था। निहालपुर गांव का यह जिद्दी और गुस्सैल लड़का अतीक की जुर्म की दुनिया का हिस्सा बना और देखते ही देखते पूर्वांचल में अपना वर्चस्व कायम कर लिया।इलाहाबाद पश्चिमी सीट असली ठनी साल 2004 में जब अतीक अहमद सांसद बनकर दिल्ली चले गए। उनकी खाली हुई इलाहाबाद पश्चिमी सीट पर अतीक अपने भाई अशरफ को विधायक बनाना चाहते थे लेकिन राजू पाल ने बगावत कर दी और बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर गए। अतीक की चेतावनी के बावजूद राजू पाल ने चुनाव लड़ा और अशरफ को 4,818 वोटों से हराकर सबको चौंका दिया। यही जीत उनकी मौत का कारण बनी।

 

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शादी के महज 9 दिन बाद सुहाग उजड़ा

राजू पाल की हत्या उनकी जिंदगी के सबसे खुशी के पलों के बीच हुई। उन्होंने अपनी पसंद की लड़की पूजा पाल से लव-मैरिज की थी। शादी को अभी केवल 9 दिन ही हुए थे कि अपराधियों ने उनकी जान ले ली। इस हमले में उनके दो समर्थक संदीप यादव और देवीलाल की भी मौत हो गई थी।

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हत्याकांड के बाद पूजा पाल का सियासी उदय

राजू पाल की मौत के बाद उनकी पत्नी पूजा पाल राजनीति में आईं।

  • पहला चुनाव: उपचुनाव में वे अशरफ से हार गईं।

  • बदला: साल 2007 के विधानसभा चुनाव में पूजा पाल ने अतीक के भाई अशरफ को हराकर अपने पति की सीट वापस जीती और विधायक बनीं।

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