केंद्र ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का किया विरोध, कहा-यह बिलकुल उचित नहीं

Edited By Yaspal,Updated: 12 Mar, 2023 06:50 PM

center opposes giving legal recognition to gay marriage

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के अनुरोध से संबंधित याचिकाओं का यह कहते हुए विरोध किया कि इससे व्यक्तिगत कानूनों और स्वीकार्य सामाजिक मूल्यों में संतुलन प्रभावित होगा

नेशनल डेस्कः सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के अनुरोध से संबंधित याचिकाओं का यह कहते हुए विरोध किया कि इससे व्यक्तिगत कानूनों और स्वीकार्य सामाजिक मूल्यों में संतुलन प्रभावित होगा। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को इस मामले पर सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दाखिल हलफनामे में सरकार ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के जरिये इसे वैध करार दिये जाने के बावजूद, याचिकाकर्ता देश के कानूनों के तहत समलैंगिक विवाह के लिए मौलिक अधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं। उसने कहा, ‘‘विवाह, कानून की एक संस्था के रूप में, विभिन्न विधायी अधिनियमों के तहत कई वैधानिक परिणाम हैं। इसलिए, ऐसे मानवीय संबंधों की किसी भी औपचारिक मान्यता को दो वयस्कों के बीच केवल गोपनीयता का मुद्दा नहीं माना जा सकता है।''

केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि भारतीय लोकाचार के आधार पर ऐसी सामाजिक नैतिकता और सार्वजनिक स्वीकृति का न्याय करना और उसे लागू करना विधायिका का काम है। केंद्र ने कहा कि भारतीय संवैधानिक कानून न्यायशास्त्र में किसी भी आधार के बिना पश्चिमी निर्णयों को इस संदर्भ में आयात नहीं किया जा सकता है।

केंद्र ने कहा कि समलैंगिक व्यक्तियों के बीच विवाह को न तो किसी असंहिताबद्ध कानूनों या किसी संहिताबद्ध वैधानिक कानूनों में मान्यता दी जाती है और न ही इसे स्वीकार किया जाता है। केंद्र ने कहा, ‘‘भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के बावजूद, याचिकाकर्ता देश के कानूनों के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के मौलिक अधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं।''

केंद्र का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अधीन है और इसे देश के कानूनों के तहत मान्यता प्राप्त करने के वास्ते समलैंगिक विवाह के मौलिक अधिकार को शामिल करने के लिए विस्तारित नहीं किया जा सकता है, जो वास्तव में इसके विपरीत है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने छह जनवरी को समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने के मुद्दे पर देश भर के विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित सभी याचिकाओं को एक साथ जोड़ते हुए उन्हें अपने पास स्थानांतरित कर लिया था।

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