Edited By Parveen Kumar,Updated: 05 Oct, 2025 12:01 AM

देश के पारंपरिक कारीगरों और श्रमिकों को नई ताकत देने के लिए केंद्र सरकार ने “प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना” शुरू की है। इस योजना का मकसद है- उन लोगों को दोबारा मुख्यधारा से जोड़ना, जो वर्षों से अपने हुनर से समाज का निर्माण करते आए हैं, लेकिन आर्थिक...
नेशनल डेस्क: देश के पारंपरिक कारीगरों और श्रमिकों को नई ताकत देने के लिए केंद्र सरकार ने “प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना” शुरू की है। इस योजना का मकसद है- उन लोगों को दोबारा मुख्यधारा से जोड़ना, जो वर्षों से अपने हुनर से समाज का निर्माण करते आए हैं, लेकिन आर्थिक रूप से पिछड़ गए।
हर दिन ₹500 की मदद, सीधे खाते में
इस योजना के तहत कारीगरों को 15 दिन की ट्रेनिंग दी जाती है, जिसमें उन्हें हर दिन ₹500 तक की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। यह पैसा सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर होता है, ताकि वे प्रशिक्षण के दौरान अपने खर्च पूरे कर सकें और काम में फिर से गति ला सकें।
बढ़ई से लेकर मोची तक- कौन उठा सकता है लाभ
इस योजना का लाभ बढ़ई, लोहार, सुनार, दर्जी, मोची, राजमिस्त्री, कुम्हार, नाई, धोबी जैसे पारंपरिक व्यवसाय से जुड़े लोगों को दिया जा रहा है। सरकार का उद्देश्य है कि इन विश्वकर्माओं को फिर से आत्मनिर्भर बनाया जाए।
आसान लोन, कम ब्याज
योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को ₹1 लाख तक का लोन बेहद कम ब्याज पर दिया जाता है। अगर लाभार्थी समय पर भुगतान करता है तो उसे अगली किश्त में ₹2 लाख तक का लोन भी मिल सकता है। इससे वे अपना काम बढ़ा सकेंगे और अन्य लोगों को भी रोजगार दे पाएंगे।
आधुनिक उपकरण और नई ट्रेनिंग
विश्वकर्मा योजना के तहत सरकार आधुनिक टूलकिट्स और तकनीकी प्रशिक्षण भी उपलब्ध करा रही है, ताकि कारीगर नए बाजार की जरूरतों के अनुसार खुद को ढाल सकें। प्रशिक्षण पूरा करने वालों को पहचान पत्र और प्रमाणपत्र दिया जाता है, जिससे वे सरकारी योजनाओं और लोन का लाभ सहजता से उठा सकें।
ग्रामीण और छोटे शहरों पर खास फोकस
सरकार का विशेष ध्यान गांवों और छोटे कस्बों में रहने वाले कारीगरों पर है। जहां पहले बैंक लोन और सरकारी सहायता मिलना मुश्किल था, अब यह योजना उन्हें सीधा प्लेटफॉर्म और आर्थिक सुरक्षा दे रही है।