हिंदू और जैन धर्म के लोगों ने मांगा कुतुब मीनार में पूजा-पाठ का अधिकार, कहा- इमारत में मौजूद है मंदि

Edited By Updated: 10 Dec, 2020 11:30 AM

demanded the right of worship in qutub minar

राम मंदिर और  श्रीकृष्ण जन्मभूमि के बाद अब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार का मामला भी कोर्ट पहुंच गया है।कुतुब मीनार परिसर में मौजूद कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद काे लेकर  दिल्ली के साकेत कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है। हिंदू और जैन धर्म...

नेशनल डेस्क: राम मंदिर और श्रीकृष्ण जन्मभूमि के बाद अब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार का मामला भी कोर्ट पहुंच गया है। कुतुब मीनार परिसर में मौजूद कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद काे लेकर दिल्ली के साकेत कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है। हिंदू और जैन धर्म द्वारा दायर की गई याचिका में दाचा किया गया है कि मस्जिद को 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर बनाया गया था। अब वह फिर से वहां देवताओं की मूर्तियों को स्थापित करना चाहते हैं। 

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कोर्ट में याचिका दाखिल 
जैन तीर्थकर ऋषभ देव और भगवान विष्णू के नाम से दाखिल की गई याचिका के अनुसार मुगल बादशाह कुतुबुद्दीन ऐबक ने 27 हिंदू-जैन मंदिरों को तोड़कर वहां मस्जिद बनवा दिया था। याचिका में दावा किया गया कि दिल्ली के पहले मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक की तरफ से 1192 में बनवाई गई इस मस्जिद में मुसलमानों ने कभी नमाज़ नहीं पढ़ी। इसकी वजह यह थी कि मंदिरों की सामग्री से बनी इमारत के खंभों, मेहराबों, दीवार और छत पर जगह-जगह हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां थी। आज भी वहां ऐसे चिन्ह मौजूद हैं जो जो साबित करते हैं कि यह जगह हिंदू मंदिरों की थी और उसी को तोड़कर मस्जिद बनाई गई। 

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 मोहम्मद गौरी ने दिया था मंदिरों को तोड़ने का आदेश
आरोप यह भी है कि तोड़े गए मंदिरों के पत्थर एवं निर्मित फूल पत्तियों, हिंदू धर्म के अनुसार नक्काशी किए गए पत्थर एवं मंदिर के अन्य सामानों से मस्जिद बनाई गई। याचिका में कहा गया कि मुस्लिम शासकों के दौर में इसे कुतुब मीनार नाम दे दिया गया। इसी परिसर में 27 नक्षत्रों के प्रतीक के तौर पर 27 मंदिर थे। आरोप यह भी है कि मोहम्मद गौरी के गुलाम कुतुबुद्दीन ने दिल्ली में कदम रखते ही सबसे पहले इन मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया। जल्दबाजी में उसी सामग्री से मस्जिद खड़ी कर दी गई। उसे नाम दिया गया कुव्वत-उल-इस्लाम यानी इस्लाम की ताकत।

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धरोहर के अंदर पूजा-पाठ की मांगी इजाजत 
याचिका में कहा गयाकि मस्जिद बनाने का मकसद इबादत से ज्यादा स्थानीय हिंदू एवं जैन मंदिरों को तोड़ना था। इस मामले को लेकर मंगलवार को दिल्ली के साकेत कोर्ट में सिविल जज नेहा शर्मा की अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुवाई हुई। अगली सुनवाई 24 दिसंबर को होगी। बता दें कि इस ममाले में कुल 5 लोगों की ओर से ये मुकदमा दर्ज किया गया है। इन सभी ने ऐतिहासिक धरोहर के अंदर पूजा-पाठ की इजाजत की मांग है। ं

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