Edited By Parveen Kumar,Updated: 27 Aug, 2025 07:43 PM

माता वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर हुए भीषण भूस्खलन में अब तक 33 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि करीब 23 लोग घायल बताए जा रहे हैं। भारी बारिश के चलते कई जगहों पर पहाड़ दरक गए, जिससे मलबा जमा हो गया और बड़े-बड़े पत्थर गिरने लगे। इसके कारण जम्मू-कटरा...
नेशनल डेस्क: माता वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर हुए भीषण भूस्खलन में अब तक 33 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि करीब 23 लोग घायल बताए जा रहे हैं। भारी बारिश के चलते कई जगहों पर पहाड़ दरक गए, जिससे मलबा जमा हो गया और बड़े-बड़े पत्थर गिरने लगे। इसके कारण जम्मू-कटरा राष्ट्रीय राजमार्ग बंद करना पड़ा है। फिलहाल वैष्णो देवी यात्रा को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है। जम्मू में हालात तेजी से उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसी आपदा की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं, जहां हर साल बारिश के दौरान बड़े पैमाने पर भूस्खलन देखने को मिलते हैं। इस मौके पर एक सवाल उठता है- क्या आप जानते हैं कि अब तक दुनिया में दर्ज किया गया सबसे बड़ा भूस्खलन कौन सा था? आइए जानते हैं इस बारे में।
धरती का अब तक का सबसे बड़ा भूस्खलन
अब तक दर्ज किया गया दुनिया का सबसे बड़ा भूस्खलन अमेरिका के वॉशिंगटन राज्य में स्थित माउंट सेंट हेलेंस नाम के ज्वालामुखी पर हुआ था। यह घटना 18 मई 1980 को हुई थी और इसे आधुनिक इतिहास की सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदाओं में गिना जाता है।
कितना बड़ा था यह भूस्खलन?
- इस भूस्खलन में करीब 2.8 क्यूबिक किलोमीटर यानी भारी मात्रा में मलबा नीचे गिरा।
- यह मलबा लगभग 22.5 किलोमीटर तक नॉर्थ फोर्क टाउटल नदी के साथ बहता चला गया।
- मलबे की औसत गहराई 46 मीटर, जबकि कुछ जगहों पर गहराई 182 मीटर तक पहुंच गई थी।
- इसकी रफ्तार 112 से 240 किलोमीटर प्रति घंटा रही- यानी एक तेज रफ्तार ट्रेन जितनी तेज़।
ज्वालामुखी और भूस्खलन
ज्वालामुखी क्षेत्र अक्सर कमजोर चट्टानों और राख की परतों से बने होते हैं। जब ज्वालामुखी के अंदर दबाव बढ़ता है, तो कई बार ढलान टूटकर नीचे गिरने लगती है। माउंट सेंट हेलेंस में भी ऐसा ही हुआ- विस्फोट से पहले उत्तरी ढलान पहले से ही कमजोर हो चुकी थी। अंदर का गैस और मैग्मा का दबाव इतना बढ़ गया कि ज्वालामुखी का एक बड़ा हिस्सा टूटकर तेज़ रफ्तार से नीचे आ गिरा।
बदल गया था इलाके का नक्शा
इस भूस्खलन ने न सिर्फ ज्वालामुखी की ऊंचाई को कम कर दिया, बल्कि आसपास के पूरे इलाके का नक्शा ही बदल डाला। माउंट सेंट हेलेंस का ऊपरी हिस्सा लगभग समतल हो गया। इस घटना के बाद वैज्ञानिकों ने यह समझा कि ज्वालामुखीय विस्फोट और भूस्खलन के बीच सीधा संबंध होता है। इसके बाद से दुनियाभर में ज्वालामुखीय क्षेत्रों की निगरानी और अलर्ट सिस्टम पर खास ध्यान दिया जाने लगा ताकि भविष्य में ऐसी बड़ी आपदाओं को रोका जा सके।