Fake Medicines: हिमाचल में बनीं बुखार, BP, कैंसर समेत 38 दवाओं के सैंपल फेल, ड्रग विभाग ने लिया एक्शन

Edited By Anu Malhotra,Updated: 30 Nov, 2024 09:24 AM

drug manufacturing himachal pradesh samples of 38 medicines

हिमाचल प्रदेश में दवा निर्माण को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। राज्य में निर्मित 38 दवाओं के सैंपल जांच में फेल पाए गए हैं। इनमें बुखार, दमा, ब्लड प्रेशर और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं शामिल हैं। ड्रग विभाग ने इन दवाओं...

नेशनल डेस्क: हिमाचल प्रदेश में दवा निर्माण को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। राज्य में निर्मित 38 दवाओं के सैंपल जांच में फेल पाए गए हैं। इनमें बुखार, दमा, ब्लड प्रेशर और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं शामिल हैं। ड्रग विभाग ने इन दवाओं को बाजार से तुरंत हटाने के निर्देश दिए हैं।केंद्रीय ड्रग अथॉरिटी द्वारा अक्टूबर में जारी किए गए अलर्ट में यह खुलासा हुआ हैं।

सैंपल फेल होने वाली दवाएं:

बुखार: बायोसिटामोल
दमा: मोंटीलुकास्ट
बीपी: टारविग्रेस
कैंसर: लिपोसोमल
अन्य: स्टेमेरिल, रेबेप्रोजोल, ट्रिपिसन आदि।

मार्केट से दवाओं को हटाने का निर्देश:
ड्रग विभाग ने फेल हुए दवाओं के सभी बैचों को बाजार से तुरंत हटाने के आदेश दिए हैं। ये दवाएं बाजार में पहले ही बिक चुकी हैं और संभवतः मरीजों द्वारा उपयोग की जा रही हैं, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

नकली या खराब दवाओं से बचने के उपाय
-पैकेजिंग जांचें
-दवा के पैकेट पर स्पेलिंग मिस्टेक, फेडेड रंग, और असामान्य फॉन्ट को नोटिस करें।
-बारकोड और बैच नंबर को ऑनलाइन वेरिफाई करें।
-मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट का ध्यान रखें।
-एमआरपी और कंपनी की वैधता जांचें।
-दवा के रंग, आकार, या टेक्सचर में गड़बड़ी हो तो डॉक्टर या फार्मासिस्ट से संपर्क करें।
-ऑनलाइन खरीदारी में सतर्क रहें

क्या करें अगर नकली दवा मिले?
तुरंत स्थानीय ड्रग विभाग को इसकी शिकायत दर्ज करें।
डॉक्टर से संपर्क कर वैकल्पिक दवा या इलाज के लिए सलाह लें।

हिमाचल प्रदेश के दवा उद्योग पर असर
हिमाचल प्रदेश देश का एक प्रमुख फार्मा हब है, लेकिन गुणवत्ता को लेकर बार-बार हो रहे विवाद इस क्षेत्र की साख पर बुरा असर डाल रहे हैं। सरकार को न केवल सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, बल्कि यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों। इस तरह की घटनाएं स्वास्थ्य क्षेत्र में आम जनता के भरोसे को कमजोर करती हैं, इसलिए दवा कंपनियों पर सख्त निगरानी और नियमित जांच की आवश्यकता है।

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