'धरती का स्वर्ग' कहा जाने वाले ये राज्य डूबा नशे के दलदल में, सरकार ने संसद में दिए चौंकाने वाले आंकड़े

Edited By Updated: 24 Jul, 2025 11:19 AM

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जम्मू-कश्मीर को अक्सर “धरती का स्वर्ग” कहा जाता है लेकिन अब यह स्वर्ग नशे के दलदल में फंसता जा रहा है। केंद्र सरकार ने संसद में जानकारी दी है कि यहां ड्रग्स की तस्करी, अवैध खेती और नशे की लत गंभीर रूप से बढ़ रही है। साल 2018 से अब तक लाखों किलो मादक...

नेशनल डेस्क: जम्मू-कश्मीर को अक्सर “धरती का स्वर्ग” कहा जाता है लेकिन अब यह स्वर्ग नशे के दलदल में फंसता जा रहा है। केंद्र सरकार ने संसद में जानकारी दी है कि यहां ड्रग्स की तस्करी, अवैध खेती और नशे की लत गंभीर रूप से बढ़ रही है। साल 2018 से अब तक लाखों किलो मादक पदार्थ जब्त किए गए और हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया है। आइए जानते हैं इस गंभीर समस्या की पूरी तस्वीर आसान और सरल भाषा में।

ड्रग्स की तस्करी और जब्ती का ब्योरा

सरकार ने बताया कि सीमापार से आतंकवादी सिंडिकेट नशीले पदार्थ जम्मू-कश्मीर में पहुंचा रहे हैं। पिछले पांच वर्षों में यहां मादक पदार्थों की तस्करी, अवैध खेती और सेवन के मामले लगातार बढ़े हैं। 2018 से 1.12 लाख किलोग्राम से ज्यादा नशीले पदार्थ जब्त किए गए हैं। इसमें 2018 में करीब 19 हजार किलोग्राम ड्रग्स जब्त हुईं और 2019-20 में यह संख्या और बढ़कर चरम पर पहुंच गई। 2021 के बाद जब्ती में थोड़ी गिरावट आई लेकिन तस्करी की कोशिशें लगातार जारी हैं।

गिरफ्तारियों का हाल

नशीले पदार्थों के मामले में गिरफ्तारियों की संख्या भी चिंताजनक है। 2018 में लगभग 1,460 लोगों को गिरफ्तार किया गया था जो 2019 में बढ़कर 1,884 हो गई। 2020 में गिरावट आई पर 2021-22 में फिर से बढ़ोतरी हुई और 2022 में यह संख्या 3,453 तक पहुंच गई जो पिछले पांच साल का सबसे अधिक स्तर था। यह दर्शाता है कि नशा रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन लगातार काम कर रहे हैं लेकिन समस्या जटिल बनी हुई है।

अवैध खेती का उन्मूलन

जम्मू-कश्मीर में अफीम और भांग की खेती पर भी कड़ी कार्रवाई हुई है। 2020 में लगभग 893 एकड़ अफीम की खेती नष्ट की गई। इसके बाद दो साल गिरावट आई लेकिन फिर 2023 और 2024 में यह बढ़ी। भांग की खेती भी बड़ी मात्रा में नष्ट की गई। 2023 में 900 एकड़ और 2024 में लगभग 1,000 एकड़ भांग की खेती मिटाई गई। यह साफ़ करता है कि सरकार इस गंभीर समस्या के खिलाफ ठोस कदम उठा रही है।

नशामुक्ति केंद्रों की भूमिका

जम्मू-कश्मीर में नशामुक्ति केंद्रों का नेटवर्क मजबूत किया गया है। 2020 से अब तक 83,208 लोगों को इन केंद्रों से इलाज मिला है और उन्हें नशे से छुटकारा मिला है। वर्तमान में 10 नशामुक्ति केंद्र सक्रिय हैं। खास बात यह है कि कश्मीर का मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान (आईएमएचएएनएस) ड्रग ट्रीटमेंट में अहम भूमिका निभा रहा है। यहां 2021-24 तक 9,387 मरीजों का इलाज किया गया।

नशे से जुड़ी आत्महत्याएं

सरकार ने लोकसभा में बताया कि 2018 से अब तक कम से कम 17 आत्महत्या नशीली दवाओं और शराब की लत के कारण हुई हैं। यह आंकड़ा नशे की गंभीरता और इसके खतरनाक परिणामों को दर्शाता है। इसे देखते हुए नशा रोकने के लिए जागरूकता, कड़ी कानूनी कार्रवाई और पुनर्वास की आवश्यकता है।

सरकार की प्रतिबद्धता

गृह मंत्रालय ने नशे के खतरे को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की बात कही है। साथ ही पूरे जम्मू-कश्मीर में उपचार और पुनर्वास की सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। इससे उम्मीद की जा रही है कि नशे के कारण होने वाली समस्याओं को कम किया जा सकेगा और प्रदेश को फिर से स्वच्छ और सुरक्षित बनाया जा सकेगा।

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