Edited By Parveen Kumar,Updated: 30 Oct, 2025 09:34 PM

देश में इस साल जुलाई से सितंबर तिमाही के दौरान सोने की मांग में तेज़ गिरावट देखी गई है। विश्व स्वर्ण परिषद (WGC) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, मात्रा के हिसाब से सोने की कुल मांग 16% घटकर 209.4 टन रह गई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 248.3 टन थी।...
नेशनल डेस्क: देश में इस साल जुलाई से सितंबर तिमाही के दौरान सोने की मांग में तेज़ गिरावट देखी गई है। विश्व स्वर्ण परिषद (WGC) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, मात्रा के हिसाब से सोने की कुल मांग 16% घटकर 209.4 टन रह गई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 248.3 टन थी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट मुख्य रूप से सोने की ऊंची कीमतों के कारण उपभोक्ताओं की खरीदारी कम होने से आई है।
कम खरीदा, पर ज़्यादा खर्च किया
दिलचस्प बात यह है कि मात्रा घटी, मगर मूल्य के हिसाब से मांग 23% बढ़कर 2,03,240 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, जो पिछले साल 1,65,380 करोड़ रुपये थी। यानी लोगों ने कम सोना खरीदा, लेकिन महंगी कीमतों के चलते कुल खर्च बढ़ गया।
आभूषणों की मांग में भारी गिरावट
इस तिमाही में सबसे बड़ी गिरावट सोने के आभूषणों की मांग में दर्ज की गई। पिछले साल जहां इसकी मांग 171.6 टन थी, वहीं अब घटकर 117.7 टन रह गई- यानी करीब 31% की गिरावट। हालांकि, मूल्य के हिसाब से यह 1,14,270 करोड़ रुपये पर लगभग स्थिर रही, क्योंकि खरीदारों ने अपने बजट को बढ़ी कीमतों के अनुरूप समायोजित किया।
निवेश के रूप में सोने की चमक बरकरार
वहीं, निवेश के रूप में सोने की मांग में जबरदस्त उछाल देखा गया। मात्रा के लिहाज से यह 20% बढ़कर 91.6 टन हो गई। मूल्य के हिसाब से इसमें 74% की वृद्धि हुई- जो 51,080 करोड़ रुपये से बढ़कर 88,970 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। WGC के भारत क्षेत्रीय सीईओ सचिन जैन के मुताबिक, यह प्रवृत्ति दर्शाती है कि भारतीय उपभोक्ता अब सोने को सिर्फ आभूषण नहीं, बल्कि दीर्घकालिक और सुरक्षित निवेश के रूप में देख रहे हैं।
कीमतों ने बनाया नया रिकॉर्ड
इस तिमाही में भारत में सोने की औसत कीमत 46% बढ़कर 97,074.9 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई, जबकि एक साल पहले यह 66,614.1 रुपये थी (जीएसटी और आयात शुल्क को छोड़कर)। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोना चमका और इसकी औसत कीमत 3,456.5 डॉलर प्रति औंस रही- जो पिछले वर्ष की तुलना में काफी अधिक है।