Edited By Sahil Kumar,Updated: 29 Oct, 2025 08:06 PM

देश के मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोने की कीमतें पिछले दो हफ्तों में करीब 13,000 रुपये यानी 10% तक गिर गई हैं। अमेरिकी फेड की संभावित ब्याज दर कटौती और अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता के परिणाम सोने की कीमतों पर असर डाल रहे हैं। विशेषज्ञों के...
नेशनल डेस्कः देश के मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोने की कीमतें अपने पीक से करीब 13,000 रुपये यानी लगभग 10% गिर चुकी हैं। निवेशकों के सामने अब यह बड़ा सवाल है कि गिरती कीमतों के बीच मार्केट से बाहर निकलना चाहिए या कुछ समय और होल्ड करना बेहतर रहेगा। विशेषज्ञों के अनुसार आगे भी उतार-चढ़ाव जारी रहने की संभावना है।
एमसीएक्स पर सोने की कीमतें अपने पीक 1,32,294 रुपये प्रति 10 ग्राम से गिरकर बुधवार को कारोबार के दौरान 1,19,351 रुपये तक आ गईं। इससे निवेशकों में चिंता पैदा हुई है, क्योंकि सोना अब अपने हाल के उच्चतम स्तर से 12,943 रुपये नीचे है।
मेरिकी फेडरल रिज़र्व की मौद्रिक नीति
विशेषज्ञों का मानना है कि सोने की कीमतों में आगे गिरावट या बाउंसबैक दोनों संभावनाएं मौजूद हैं। इसके पीछे मुख्य कारण अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की मौद्रिक नीति और अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता में उतार-चढ़ाव है। जहां फेड की संभावित 25 बेसिस प्वॉइंट कटौती सोने को समर्थन दे सकती है, वहीं अमेरिका-चीन व्यापार समझौते की सकारात्मक खबरें कीमतों में दबाव डाल रही हैं।
देश के वायदा बाजार में बुधवार को शुरुआती गिरावट के बाद सोने में तेजी देखने को मिली, और कारोबारी सत्र के दौरान कीमतों में एक हजार रुपये से अधिक का इजाफा हुआ। विशेषज्ञों के अनुसार, सोना फिलहाल 3,870-4,280 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस और चांदी 45.50-51.50 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस के दायरे में कारोबार कर सकता है।
चांदी भविष्य में 1,47,000 रुपये तक पहुंच सकती
देशी बाजार में, मनोज कुमार जैन (पृथ्वीफिनमार्ट कमोडिटी रिसर्च) का कहना है कि सोना 1,17,000-1,18,000 रुपये के समर्थन स्तर पर बना हुआ है, जबकि 1,20,500-1,21,400 रुपये पर रिसिस्टेंस देखी जा रही है। उनका अनुमान है कि यदि ये स्तर कायम रहते हैं, तो सोना 1,21,500 रुपये तक रिकवरी कर सकता है और चांदी निकट भविष्य में 1,47,000 रुपये तक पहुंच सकती है।
एलकेपी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट जतिन त्रिवेदी का कहना है कि अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता और फेड की बैठक सोने की चाल को अगले चरण में दिशा देंगे। निवेशकों को अभी तक भारी अस्थिरता देखने को मिल सकती है। लॉन्गटर्म निवेशक इस गिरावट को खरीदारी का अवसर मान सकते हैं, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार किसी भी बड़े निर्णय से पहले फेड की बैठक और अमेरिका-चीन शिखर सम्मेलन के परिणामों पर नजर रखना आवश्यक है।