Haryana Polls: कांग्रेस की एक दशक के बाद वापसी की संभावना, इन 5 वजहों से BJP को हुआ नुकसान

Edited By Updated: 06 Oct, 2024 08:32 AM

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बीजेपी सरकार को कई कारणों से सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा है। इस लहर के चलते ही मार्च 2023 में मनोहर लाल खट्टर को हटाने का निर्णय लिया गया। हालांकि, यह कदम स्थिति को सुधारने में कारगर नहीं साबित हुआ और पार्टी की परेशानी बढ़ती गई।

नैशनल डैस्क : हरियाणा विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल के नतीजे सामने आ चुके हैं। वर्तमान में बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आने की कोशिश कर रही है, लेकिन आजतक सी-वोटर सर्वे के अनुसार, कांग्रेस एक दशक के बाद राज्य में वापसी कर सकती है। सर्वे के अनुसार, हरियाणा में कांग्रेस को 50-58 सीटें मिल सकती हैं। वहीं, बीजेपी को 20-28 सीटों पर सिमटना पड़ सकता है। इसके अलावा, JJP को शून्य से दो और अन्य को 10-14 सीटों पर बढ़त का अनुमान है। विभिन्न सर्वेक्षणों में कांग्रेस की सरकार बनने की भविष्यवाणी की जा रही है, जिससे लगता है कि सत्तारूढ़ बीजेपी सत्ता खोने की कगार पर है। बीजेपी सरकार को कई कारणों से सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा है। इस लहर के चलते ही मार्च 2023 में मनोहर लाल खट्टर को हटाने का निर्णय लिया गया। हालांकि, यह कदम स्थिति को सुधारने में कारगर नहीं साबित हुआ और पार्टी की परेशानी बढ़ती गई। आइए, जानें उन 5 बड़ी वजह के बारे में जिसके चलते बीजेपी को नुकसान झेलना पड़ रहा है-

1. बेरोजगारी की समस्या
2021-22 में हरियाणा की बेरोजगारी दर 9 प्रतिशत रही, जो राष्ट्रीय औसत 4.1 प्रतिशत से दोगुनी से भी अधिक है। बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में 2 लाख नौकरियों का वादा किया था, लेकिन अपने दो कार्यकालों में लगभग 1.84 लाख खाली पदों को भरने में असफल रही। बीजेपी नेताओं का कहना था कि भर्तियाँ योग्यता के आधार पर हुई हैं, लेकिन कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाते हुए पूछा कि हरियाणा लोक सेवा आयोग के कार्यालय से 3 करोड़ रुपये की राशि बरामद होने का क्या मतलब है।

2. शहरी मतदाताओं का समर्थन खोना
बीजेपी की पहचान एक शहरी-केंद्रित पार्टी के रूप में रही है, जिसका आधार शहरी और अर्ध-शहरी निर्वाचन क्षेत्रों में है। हाल के लोकसभा चुनावों में शहरी मतदाताओं ने पार्टी का समर्थन किया था, लेकिन अब उन्होंने वोट न देकर बीजेपी को छोड़ दिया। कुल 2 करोड़ मतदाताओं में से केवल 1 करोड़ ने वोट डाला, जबकि अन्य या तो घरों में ही रहे या छुट्टियों पर चले गए।

3. खट्टर के ई-गवर्नेंस सुधार
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा भ्रष्टाचार से निपटने और सरकारी सेवाओं को सरल बनाने के लिए किए गए ई-गवर्नेंस सुधार पार्टी के लिए समस्या बन गए। हालांकि राज्य सरकार ने कई ई-पोर्टल जैसे परिवार पहचान पत्र, संपत्ति पहचान पत्र आदि शुरू किए, लोगों में नाराज़गी थी क्योंकि उन्हें इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था।

4. योजनाओं की असफलता
राज्य सरकार ने किसानों को आकर्षित करने के लिए कई घोषणाएँ की, लेकिन ये अधिकतर कागजों पर ही रहीं। अगस्त 2024 में 24 फसलों पर एमएसपी देने की योजना बनी, लेकिन इससे किसानों को कोई वास्तविक लाभ नहीं मिला। चुनाव से पहले किए गए वादे जैसे सरकारी भर्ती में 10 फीसदी आरक्षण और रिटायर्ड अग्निवीरों को ब्याज मुक्त लोन भी केवल घोषणा बनकर रह गए।

5. परिवार पहचान पत्र (PPP) का प्रभाव
हरियाणा सरकार ने 2020 में परिवार पहचान पत्र (PPP) की शुरुआत की और इसके तहत रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया। हालांकि, 72 लाख परिवारों में से केवल 68 लाख का वेरिफिकेशन हुआ। सब्सिडी के दुरुपयोग और फर्जी दावों के कारण कई लोग वृद्धावस्था पेंशन लेने से वंचित रह गए। इस प्रक्रिया में हुई विसंगतियों के कारण लंबी कतारें लगीं और कई लोग परेशान हुए।

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