Edited By Sahil Kumar,Updated: 19 Sep, 2025 07:55 PM

देशभर में हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां कैशलेस इलाज का दावा तो करती हैं, लेकिन मरीजों को इलाज खर्च का पूरा भुगतान नहीं कर रही हैं। कई मामलों में बीमा कंपनियां डॉक्टर की सलाह और मेडिकल रिपोर्ट के बावजूद क्लेम खारिज कर रही हैं। निजी कंपनियों पर शिकायतें...
नेशनल डेस्कः देशभर में हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा कैशलेस इलाज का वादा भले किया जा रहा हो, लेकिन असल में मरीजों को इलाज के खर्च का भुगतान दिलाने में लगातार समस्याएं बढ़ रही हैं। कई मामलों में बीमा कंपनियां मरीज के भर्ती होने पर इलाज खर्च देने से इनकार कर रही हैं या पूरी रकम देने से बच रही हैं, जिससे मरीज और उनके परिवार आर्थिक तंगी में फंस रहे हैं। इस गंभीर स्थिति ने स्वास्थ्य बीमा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर दिया है।
डॉक्टर की सलाह को नजरअंदाज कर रही
बीमा कंपनियां इलाज से जुड़े क्लेम को खारिज करने के लिए डॉक्टर की सलाह और मेडिकल जांच रिपोर्ट को नजरअंदाज कर रही हैं और बिना ठोस कारणों के नियमों के परे तर्क प्रस्तुत कर रही हैं। मेडिकल रिपोर्ट और डॉक्टर की सलाह के आधार पर मरीज को भर्ती किया जाता है, लेकिन बीमा कंपनियां क्लेम खारिज करते हुए दावा करती हैं कि संबंधित बीमारी का इलाज ओपीडी में भी संभव था, इसलिए भर्ती की जरूरत नहीं थी। जबकि कई मामलों में मरीजों को वेंटिलेटर पर रखना पड़ा या आपात स्थिति में सर्जरी करनी पड़ी, फिर भी भुगतान नहीं किया गया।
पांच दिन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा
54 वर्षीय मरीज को जून में फेफड़ों के संक्रमण के कारण पांच दिन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। इलाज के दौरान वेंटिलेटर का भी सहारा लिया गया। बीमा कंपनी ने क्लेम के समय दावा किया कि सक्रिय उपचार केवल दो दिन का हुआ है और 80,000 रुपये में से सिर्फ 30,000 रुपये का भुगतान किया। बाकी का खर्च मरीज को अपनी जेब से भरना पड़ा।
बीमा कंपनी ने क्लेम मंजूर नहीं किया
50 वर्षीय मरीज को अचानक चक्कर आने और दृष्टि कमजोर होने पर एमआरआई कराया गया, जिसमें सिर में बड़ी गांठ पाई गई। तत्काल ऑपरेशन किया गया, लेकिन बीमा कंपनी ने क्लेम मंजूर नहीं किया। परिजनों ने अस्पताल को पॉलिसी दी, लेकिन बीमा कंपनी ने ऑपरेशन के बाद अलग से क्लेम करने को कहा और तब से क्लेम भुगतान टाल रही है।
कई निजी बीमा कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया
भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के पास बीमा क्लेम से जुड़ी शिकायतों में तेजी से वृद्धि हो रही है। कई अस्पतालों ने भी कई निजी बीमा कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है, जिनके साथ वे अब मरीजों के इलाज के लिए सहयोग नहीं कर रहे। शिकायतों की जांच में पता चलता है कि कंपनियां बिना चिकित्सकीय जांच के कागजातों को अस्वीकार कर रही हैं। कई बार पहले जमा किए गए दस्तावेज फिर से मांगे जाते हैं और अंततः बिना उचित कारण क्लेम को खारिज कर दिया जाता है।