Edited By Radhika,Updated: 22 Aug, 2025 11:45 AM

RSS ने अपने शताब्दी वर्ष (100 साल) के मौके पर एक बड़ा और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस फैसले के तहत अब हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच की दूरियों को कम करने और आपसी भाईचारा बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे।
नेशनल डेस्क: RSS ने अपने शताब्दी वर्ष (100 साल) के मौके पर एक बड़ा और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस फैसले के तहत अब हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच की दूरियों को कम करने और आपसी भाईचारा बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। आरएसएस का मानना है कि देश की आर्थिक प्रगति और स्थिरता के लिए दोनों समुदायों का मिलकर काम करना बहुत जरूरी है।
मोहन भागवत की अहम बैठक
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) के बड़े अधिकारियों के साथ एक खास बैठक की। इस बैठक में आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल और अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल भी मौजूद थे। इस बैठक का मुख्य मकसद यह तय करना था कि कैसे हिंदू और मुस्लिम समाज के बीच की गलतफहमियों को दूर किया जाए और 'एक भारतीयता' की भावना को मजबूत किया जाए.

मुस्लिमों से संवाद और घर-घर संपर्क
इस फैसले के तहत आरएसएस से जुड़ा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच अब देशभर में मुस्लिम समाज के लोगों से बातचीत का सिलसिला तेज करेगा।
- बड़ा सम्मेलन: आने वाले दो महीनों में दिल्ली में एक बड़ा मुस्लिम सम्मेलन होगा।
- जिला स्तर की बैठकें: देशभर के अलग-अलग जिलों में मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ बैठकें होंगी, जिनमें आरएसएस के पदाधिकारी भी हिस्सा ले सकते हैं.
- घर-घर संपर्क: आरएसएस ने शताब्दी वर्ष में करीब 20 करोड़ घरों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है। मुस्लिम बहुल इलाकों में यह जिम्मेदारी मुस्लिम राष्ट्रीय मंच को दी गई है।
मुख्य बातें और संदेश
बैठक में मोहन भागवत ने यह साफ संदेश दिया कि हिंदू और मुस्लिम अलग नहीं, बल्कि एक ही हैं। उन्होंने कहा कि दोनों भारत का अखंड हिस्सा हैं और उनके पूर्वज और डीएनए भी एक ही हैं। इसके अलावा बैठक में कश्मीर के हालात पर भी बात हुई और वहां के लोगों की सोच में आ रहे बदलाव को अच्छा बताया गया। आरएसएस प्रमुख की यह बैठकें मुस्लिम धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों से चल रहे संवाद का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य दोनों समुदायों के बीच विश्वास बढ़ाना और गलतफहमियों को दूर करना है।