Kidney Awareness: किडनी ठीक से काम न करे तो बिगड़ सकती है नींद, रात में जागते रहना हो सकता है खतरे की घंटी, ना करें नजरअंदाज

Edited By Updated: 17 Nov, 2025 04:19 PM

if the kidneys do not function properly sleep may be disturbed staying awake

नींद न आना आमतौर पर लोग तनाव, थकान या मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल से जोड़कर देखते हैं, लेकिन कई बार इसके पीछे कोई गंभीर वजह भी छिपी होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार खराब नींद किडनी यानी गुर्दे की बीमारी का शुरुआती संकेत भी हो सकता है।

नेशनल डेस्क: नींद न आना आमतौर पर लोग तनाव थकान या मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल से जोड़कर देखते हैं, लेकिन कई बार इसके पीछे कोई गंभीर वजह भी छिपी होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार खराब नींद किडनी यानी गुर्दे की बीमारी का शुरुआती संकेत भी हो सकता है। इसलिए अगर आपको रोज़ रात को देर तक नींद नहीं आती, बार-बार नींद टूटती है या सोते समय बेचैनी महसूस होती है। इसे नज़रअंदाज़ करना नुकसानदायक हो सकता है।

किडनियों की भूमिका क्यों है इतनी महत्वपूर्ण
किडनियां हमारे शरीर को स्वस्थ रखने का बड़ा काम करती हैं। यह शरीर के अपशिष्ट पदार्थों को छानकर बाहर निकालती हैं और जरूरी मिनरल्स का संतुलन बनाए रखती हैं। अमेरिका के नेशनल किडनी फाउंडेशन के मुताबिक, एक दिन में किडनियां करीब 200 लीटर खून को फिल्टर करती हैं। अगर गुर्दे बीमार हों तो शरीर में गंदगी जमा होने लगती है, जो आगे चलकर कई गंभीर लक्षण पैदा कर सकती है जिनमें खराब नींद भी शामिल है। किडनी की पुरानी बीमारी यानी CKD से जूझ रहे लोगों में आधे से अधिक मरीज नींद संबंधी समस्या की शिकायत करते हैं। इसका कारण सिर्फ थकान नहीं, बल्कि शरीर में हो रहे कई बदलाव हैं, जो नींद को प्रभावित करते हैं।

किडनी की बीमारी नींद को कैसे प्रभावित करती है?
अपशिष्ट पदार्थ खून में बढ़ जाते हैं। जब गुर्दे ठीक से काम नहीं करते तो यूरिया, क्रिएटिनिन जैसे तत्व शरीर से बाहर नहीं निकल पाते। ये खून में जमा होने लगते हैं और शरीर के आराम करने की क्षमता को कम कर देते हैं। इससे सोने में कठिनाई होती है और नींद गहरी नहीं आती।

रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम
किडनी के कई मरीजों को यह परेशानी घेर लेती है, जिसमें पैरों में अजीब सी खिंचाव, झुनझुनी या बेचैनी महसूस होती है। यह लक्षण खासतौर पर रात के समय ज्यादा बढ़ जाते हैं। ऐसे में मरीज को बार-बार पैरों को हिलाना पड़ता है, जिससे नींद बाधित होती है। इसका संबंध आयरन की कमी और मिनरल असंतुलन से भी होता है।

स्लीप एपनिया की समस्या
किडनी रोगियों में स्लीप एपनिया आम है। इस स्थिति में सोते समय सांस अचानक रुक जाती है और फिर शुरू होती है। इससे नींद बार-बार टूट जाती है और व्यक्ति सुबह उठकर भी थका हुआ महसूस करता है।

हार्मोनल बदलाव
किडनियां शरीर में कई हार्मोन का संतुलन बनाए रखने में मदद करती हैं। खासकर मेलाटोनिन, जो नींद को नियंत्रित करता है। गुर्दे रोग के कारण इस हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे नैचुरल स्लीप साइकिल प्रभावित होती है।

कब लें डॉक्टर की सलाह?
अगर आपको नियमित रूप से इन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है:
➤ रात में बार-बार नींद टूटना
➤ पैरों में बेचैनी या झुनझुनी
➤ सुबह उठकर थकान महसूस होना
➤ सोने में मुश्किल होना
➤ सांस में रुकावट जैसी दिक्कत

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