Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 29 Jul, 2025 09:06 AM

हर साल की तरह इस साल भी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने की आखिरी तारीख करीब आ रही है। ऐसे में टैक्सपेयर के मन में सवाल उठते हैं कि पुराना टैक्स रिजीम चुनें या नया। खासकर उन लोगों के लिए जिनकी सालाना इनकम लगभग 12 लाख रुपये है। पिछले साल बजट में 12 लाख...
नेशनल डेस्क: हर साल की तरह इस साल भी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने की आखिरी तारीख करीब आ रही है। ऐसे में टैक्सपेयर के मन में सवाल उठते हैं कि पुराना टैक्स रिजीम चुनें या नया। खासकर उन लोगों के लिए जिनकी सालाना इनकम लगभग 12 लाख रुपये है। पिछले साल बजट में 12 लाख तक की इनकम पर टैक्स छूट का ऐलान हुआ था, जिससे बहुत से लोग समझ बैठे कि नई टैक्स व्यवस्था उनके लिए सबसे सही है। लेकिन असलियत इससे अलग है।
नया टैक्स रिजीम 2024-25 में लागू नहीं, यह बदलाव कब होगा?
सबसे जरूरी बात यह है कि बजट 2025 में घोषित 12 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स छूट वित्त वर्ष 2025-26 से लागू होगी। यानी इस वित्त वर्ष 2024-25 के लिए, जिसका रिटर्न आप अभी भर रहे हैं, वह नियम लागू नहीं है। इस साल, नया टैक्स रिजीम डिफॉल्ट जरूर है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप 12 लाख तक की इनकम पर टैक्स से पूरी तरह मुक्त हैं।
पुराना टैक्स रिजीम: क्यों है अभी भी फायदेमंद?
पुरानी टैक्स व्यवस्था में कई तरह की छूट और कटौतियां मिलती हैं, जो आपकी टैक्स योग्यता को काफी कम कर सकती हैं।
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धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की छूट – यह बचत योजना, पीपीएफ, ईएलएसएस, जीवन बीमा प्रीमियम, और अन्य निवेशों पर लागू होती है।
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धारा 80D के तहत मेडिकल इंश्योरेंस और स्वास्थ्य खर्च की छूट – आप अपने और परिवार के मेडिकल प्रीमियम पर टैक्स बचा सकते हैं।
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धारा 24(b) के तहत होम लोन पर ब्याज की छूट – घर खरीदने या बनाए रखने के लिए लिया गया होम लोन ब्याज पर भी छूट मिलती है।
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50,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन – यह आमतौर पर नौकरीपेशा लोगों को मिलती है।
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HRA (हाउस रेंट अलाउंस) की छूट – यदि आप किराए पर रहते हैं तो HRA के तहत टैक्स बचा सकते हैं।
इन सभी छूटों का फायदा उठाकर आपकी टैक्स योग्य आय कम हो जाती है, जिससे कुल टैक्स की रकम भी घटती है।
उदाहरण से समझें टैक्स व्यवस्था का फर्क
मान लीजिए आपकी कुल आय 15 लाख रुपये है। आपने 4 लाख रुपये के निवेश और खर्च (जैसे PPF, LIC प्रीमियम, होम लोन ब्याज आदि) किए हैं। ऐसे में पुराना टैक्स रिजीम आपके लिए बेहतर साबित होगा क्योंकि ये कटौतियां आपकी टैक्सयोग्य आय को घटा देंगी। इसके विपरीत अगर आप नई टैक्स व्यवस्था चुनते हैं, तो आपको इन सभी छूटों का लाभ नहीं मिलेगा और आपकी टैक्स देनदारी बढ़ सकती है।
नई टैक्स व्यवस्था में क्या दिक्कतें हैं?
नई टैक्स व्यवस्था में अब तक कोई भी छूट या कटौती उपलब्ध नहीं है। इसका मतलब यह है कि आपके सारे निवेश, मेडिकल खर्च, होम लोन इत्यादि का कोई टैक्स लाभ नहीं मिलेगा। यह व्यवस्था उन लोगों के लिए बेहतर हो सकती है जिनकी आय कम है और जो निवेश या टैक्स बचत के साधनों का ज्यादा उपयोग नहीं करते। लेकिन यदि आप पहले से ही टैक्स बचाने के लिए निवेश कर रहे हैं, तो नई व्यवस्था आपके लिए नुकसानदेह हो सकती है।
जल्दीबाजी में निर्णय न लें, सही विकल्प चुनें
ITR भरने के समय सबसे बड़ी गलती होती है बिना सही गणना किए नया टैक्स रिजीम चुन लेना। इसलिए जरूरी है कि आप:
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अपने सभी निवेश और टैक्स बचत के साधनों को जांचें
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दोनों टैक्स व्यवस्था (पुराना और नया) के अनुसार अपना टैक्स कैलकुलेटर से हिसाब लगाएं
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जरूरत हो तो टैक्स एक्सपर्ट या CA से सलाह लें
अगर पुरानी व्यवस्था आपके लिए सस्ती साबित हो रही है, तो इसे चुनना बेहतर होगा।